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यह प्रस्तुती हमारे समाज में आम इंसान द्वारा अपने आजीविका चलाने व सपनों के लिए कोई व्यवसाय, कारोबार, फेरी या कारखाना खोलने के लिए आने वाली जटिल सरकारी कामों की औपचारिकताओं जैसे एन.ओ.सी., जी. एस. टी. फॉर्म, ट्रेड लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन फीस, इत्यादि के हवाले से रिश्व्त अर्थात अन्य खर्चों से परेशान होते तथा वही दूसरी ओर मंत्री, सरकारी प्रणाली के अफसरों के लिए सरल, तेज़ और सुगम अनुमोदन प्रक्रिया को वर्णित किया गया है। साथ ही अगर काफी मशक्कत के बाद उनका कारोबार शुरू भी होता है, तो भी बाद में अस्थिर बाज़ार, कर्जों का बोझ, सरकारी नीतियों का अनुकूलन ना होने के कारण खर्चों का बढ़ना और मुनाफा कम होना इत्यादि से कारोबार का ठप्प अर्थात बंद होना और कारोबारियों का आसान व्यापारिक नीतियों वाले विदेशो जैसे दुबई, स्वीज़रलैंड जाकर बसना। जिसके कारणवश उस कारोबार से उत्पन हुए रोज़गार के खत्म होने को दर्शाया गया है।