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जानसठ 10 सितंबर। माहे मोहर्रम की दसवीं तारीख को रोजे आशूर का जुलूस अलम ,ताजियों व जुलजने के साथ बड़ी अकीदत के साथ निकाला गया। इस मौके पर शिया सोगवारो ने हाथों व जंजीर का मातम कर गमे हुसैन मनाया और कर्बला के बहत्तर शहीदों को याद किया उनकी कुर्बानियों को याद किया। ऐतिहासिक कस्बा जानसठ के शीश महल से शुरू होकर यह जुलूस मुख्य मार्गो से गुजरकर कर्बला पहुंचा और शाम को कर्बला पहुंचकर शांतिपूर्ण संपन्न हुआ। आज दोपहर शीश महल स्थित इमामबारगाह में एक मजलिस मुनाकिद की गई जहां पर जुलजना घोड़ा बरामद हुआ। यहां से अलम व ताजियों के साथ मशहूर नोहे खान ,, ऐ बीबीयो प्यासा मेरे अब्बास को मारा ,,पढ़ते हुए जुलूस के साथ मुख्य मार्गो से गुजर कर मौला वाला कुआ, चौपला, शिव मंदिर, जुमा स्थित नबी करीम पहुंचा, जहां पर एक मजलिस मुनाकिद की गई जिसे दिल्ली से आए मौलाना मोहसीन तकवी ने खिताब करते हुए हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के बहत्तर शहीदों की कुर्बानियों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि कर्बला के शहीदों ने हक के लिए ,इंसानियत के लिए, सच्चाई के लिए अपनी जान गवा दी लेकिन झूठ का साथ नहीं दिया और जुल्म के सामने नहीं झुके, उन्होंने मजहब इस्लाम के पैगाम को समझाया, मजलिस के बाद अजादार नंगे पैरों दहकते कोयलो पर मातम करते हुए गुजरे तो वही नंगे बदन पर जंजीरों का मातम कर अपने को लहूलुहान कर दिया कुछ सोगवारो ने तो इतना अधिक मातम किया की अस्पताल के लिए रेफर करना पड़ा। मशहूर नोहा खान नैयरअब्बास जैदी, कसीम कैसर जैदी, हसीन हैदर जैदी, अनवर रजा एडवोकेट, मुनव्वर जानसठी, शान जैदी, हिलाल मेहंदी , आदि ने नोहे पढ़कर जमकर मातम कराया। शिव मंदिर के सामने हिंदू समुदाय ने शरबत पिलाकर जुलूस का स्वागत किया। शांति व्यवस्था के लिए भारी पुलिस बल मौजूद रहा सब इंस्पेक्टर अफसर अली भारी पुलिस बल लेकर जुलूस के साथ मौजूद रहे तो वहीं प्रभारी निरीक्षक और कस्बा चौकी इंचार्ज चंद्रसेन सैनी पल-पल की खबर लेते रहे। ऐतिहासिक रंग महल मोती मस्जिद के सामने आखरी सलाम और नोहा पढ़कर जमकर मातम किया गया जिसके बाद यह जुलूस कर्बला की ओर बढ़ गया और कर्बला पहुंचकर अलम ताजिए दफन किए गए। इस मौके पर अब्बास अली खा, समीर अली खा, दानिश अली खा, मुराद अली खा, हिलाल मेहंदी, आसिफ जैदी, जमाल जैदी, वसी हैदर अली हैदर, एजाज असगर सलीम जैदी, हसन अली खां, कमल हासन,, राहत जैदी, आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे। इस मौके पर वर्षों से चली आ रही फाका कशी की रस्म को इस बार भी मरहूम अथर अली खा के साहबजादे दानिश अली खा और उनके भाइयों ने बखूबी अंजाम दिया कर्बला के बाद अकीदत मंद यहां पहुंचे और यहां की मशहूर हलीम बिरयानी का जायका लिया । आरिफ शीशमहल ई एडवोकेट चीफ एडिटर बार और बेंच सीनियर जर्नलिस्ट न्यूज़ इन टुडे लखनऊ मुजफ्फरनगर