У нас вы можете посмотреть бесплатно रामायण की 5 ऐसी अजीब कहानियां जो रामायण को काल्पनिक साबित करती हैं, रामायण इतिहास है या मिथिहास है? или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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जब कभी हमारे ऐतिहासिक बोध की बात चलती है तो हमें अपना 2 ढाई हजार साल का भी कोई क्रमअनुसार लिखा इतिहास नही मिलता! ऐसे में कुछ लोग रामायण महाभारत जैसी धार्मिक कथाओं को ही इतिहास बताना शुरू कर देतें हैं। लेकिन कथा कहानियों से हम उनके रचनाकाल के लोगो की समझ, रहन सहन समाजिक व्यवस्था का कुछ हद तक अंदाजा तो लगा सकतें हैं परन्तु कथाओं को इतिहास नही कह सकते। फिर भी अगर हम रामायण महाभारत जैसी कथाओं इतुहास के नजरिये से देखते हैं इनके रचनाकाल पर भी इतिहासकार एकमत नही है, और अगर इनमे बताये घटना काल की बात करें तो समस्या और भी गम्भीर हो जाती है धार्मिक मान्याओं के अनुसार राम का जन्म लगभग 8 लाख 80 हज़ार साल पहले हुआ था जबकि गोविन्दराम हासानन्द प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वाल्मीकि रामायण में अनुवादक व संपादक आचार्य जगदीश का मानना है कि रामायण काल 1 करोड़ 81 लाख 49 हज़ार वर्ष पूर्व था। कुछ ने राम चन्द्र का जन्म 9000 बी.सी. के आस-पास का बताया है और कुछ लोगों ने 7000 बी.सी. के आस-पास। डॉ. पी.वी. वार्तक के अनुसार राम चन्द्र का जन्म 14 दिसम्बर, 7323 बी.सी. को हुआ। आजकल के कुछ विद्वानों के मत-अनुसार राम-रावण युद्ध 15 नवम्बर 7292 बी.सी. को समाप्त हुआ। अब एक नई चीज ओर आयी है प्लेन्टेरियम सॉफ्टवेयर (Plantarium Software) जिसके ज़रिए राम जन्म की तिथि 10 जनवरी, 5114 बी.सी. बताई जा रही है। इसकी पुष्टि ‘इंस्टीचियूट् ऑफ साईंटिफिक रिसर्च ऑन वेदाज़’ ने भी की है और कहा गया है कि राम का जन्म 5114 बी.सी. में अयोध्या में हुआ था। परन्तु अगर हम ख़ौज लिए गए तथ्यों और ज्ञात कालखण्डों के आधार पर अपने अतीत की ख़ौज में निकलते हैं तो हमे गुलामी का एक लंबा,काल मिलता है शक हूँन कुषाण मिलते हैं, बुद्ध मिलते हैं बौद्ध राजाओं के शिलालेख मिलतें हैं इन सबके ऐतिहासिक प्रमाण मिलतें हैं! हमारा इतिहास हमपर राज करने वाली जिंदा जातियों से होते हुए, मुर्दों के टीले मोहनजोदड़ो से होकर गुजरता है, विश्व की सबसे प्रसिद्ध और सबसे प्राचीन उस नगरीय सभयता सिंधु घाटी तक जाता है जब हमारे पूर्वजों को केवल बैलगाड़ी और खेतीबाड़ी का ही ज्ञान था.! जहां किसी घोड़ा गाड़ी का कोई नामो निशान नही था! लेकिन इन सबके बीच हमें उस काल का कोई प्रमाण नही मिलता जब दसरथों के राजा राज करते रहें हो, जिनके आलीशान महल रहें हो.. जिन आलीशान महलो की हमें कथाएं पढ़ने को मिलती हैं, खोजने पर उन महलो की कोई ईंट तक नही मिलती! कथाओं में पुष्पक विमानों का वर्णन मिलता है, परमाणु से भी खतरनाक हथियारों से लड़ाइयों की कहानियां मिलती हैं लेकिन धरती पर खोजने से कोई भाला,कोई तीर तलवार तक नही मिलती. इतिहास कहता है 4000 ईसा पूर्व से पहले भारत में कोई नगरिया शभयता ही नही थी ... और मिथिआस कहता है 5114 ईसा पूर्व राजमहल हुआ करते थे जहां भगवान ने जन्म लिया था जिन्होंने अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए राक्षस रावण की सोने की लंका जला दी थी! लेकिन लंका का इतिहास कहता है उस काल में वहां कोई राजा ही नही था! वहां कबीले हुए करते थे! आज से 100 साल पहले तो उस टापू नाम लंका भी नही था! -------- इसके बावजूद भी अगर हम राम, दशरथ, रावण, जैसे रामायण के पात्रों को इतिहास मानना चाहतें हैं, तो सबसे पहले हमें उस किताब को जानना होगा जिसकी वजह से हम इन सबको जानते हैं, रामायण खुद के बारे में क्या कहती है वो इतिहास है या मिथिहास है ? आगे बढ़ने से पहले मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं, मेरे जैसे व्यक्ति के लिए जो किसी तरह के अलौकिक ओर परालौकिक शकितयों के स्वामी या किसी अवतार में विश्वास नही करता! वो राम को ईश्वर या भगवान के रूप में कभी स्वीकार नही कर सकता! लेकिन एक व्यक्ति, पूर्वज या एक महापुरुष के रूप में अगर वो इतिहास में साबित होतें हैं तो मैं उन्हें अपने इतिहास के रूप में सदा स्वीकार करने को तैयार हूँ! तो "रामायण इतिहास है या मिथिहास है?" आज की इस कड़ी मैं आज आपको रामायण में से 5 ऐसी कहानिया सुनायउँगा जहां से हमें राम का इतिहास और उनके पूर्वजो का पता चलता है.. #ramayan #ramayanmyth Join this channel to get access to perks: / @humanwithscience kya aatma hoti hai part 1 • क्या आत्मा होती है ?क्या पुनर्जन्म कर... क्या भूत प्रेत होते हैं • Devi, Mata Shareer men aana ,भूत प्रे... Music credit Youtube music library Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.