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लोक सूचना न्यूज़ @ रिहासते राजस्थान के बाड़मेर जिले के सिवाणा कस्बे में मशहूर दरगाह हजरत सैय्यद सुल्तानशाह जिलानी रहमतुल्ला अलैय की है जो सदियों से कौमी एकता की मिशाल कायम किये हुए है। बाबा को यहां के लोग दंताला वली के नाम से पुकारते है। दन्ताला पीर को आसपास के क्षेत्रों के हिन्दु मुस्लिम समान रूप से मानते है तथा इस भयंकर कलियुग में भी आपके चमत्कारों का प्रत्यक्ष प्रभाव देखने में आता है । रोते - बिलखते लोग आपके मज़ार पर आते है और पुनः स्वस्थ हो हंसते - हंसते अपने घरों को लौटते है । यहां पुरे हिंदुस्तान से जायरीन अपनी मुरादे लेकर आते है और अपने मन की मुरादे पाते है। बाड़मेर जिले के सिवाना कस्बे से करीब पांच किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित में दंताला पीर की मजार है जो हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम किये हुये है. ऐतिहासिक नगर सिवाना बाड़मेर जिले के कश्मीर से पहचाना जाता है और जैन मंदिरों की वजह से भी इसकी पहचान रही है मगर यहां सदियों से गंगा-जमुना की तहजीब भी कायम रही है, जिसकी मिसाल हजरत सैय्यद सुल्तानशाह जिलानी रहमतुल्ला अलैय दंताला वली का आस्ताने मुबारक है,जहा पुरे वर्ष भर हिन्दू मुस्लिम मत्था टेकने आते हैं। यहां पर जिसने भी मत्था टेका, उसे पीर का आशीर्वाद जरूर मिला है लोग अपनी मुरादे लेकर आते है मगर यहां से कोई भी मायूस होकर नहीं जाता है क्षेत्र के लोग बताते है की यहां सच्चे दिल से जो भी मांगते है उनकी मुरादे हर हाल में पूरी होती है यहां आसपास दूरदराज से जायरीन अकीदत के साथ फूल पेश करने आते हैं, आस्ताने मुबारक में अपनी-अपनी हाजिरी पेश करते हैं,और फैज हासिल करते हैं। हजरत सैय्यद सुल्तानशाह जिलानी रहमतुल्ला अलैय को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के समकालीन थे आप ख्वाजा साहब के प्रिय शार्गिद भी थे । इसके साथ - साथ आपका ख्वाजा साहब के खजान्ची होने का विवरण भी मिलता है । लेकिन इतना तो निःसन्देह कहा जा सकता है कि आपका ख्वाजा साहब से अटूट सम्बन्ध था । आप हजरत ख्वाजा साहब के प्रिय शागिर्द थे। उन दिनों दन्ताला ग्राम पहाड़ की तलहटी में विद्यमान था तथा इस पहाड़ के इर्द - गिर्द दन्ताला दैत्य का भारी उत्पात था । सम्भवतः दन्ताला दैत्य का निवास होने के फलस्वरूप इस पहाड़ का नाम भी दन्ताला ही पड़ गया ग्रामवासी राक्षस की हरकतों से अत्यन्त दुःखी एवं परेशान थे । ऐसी स्थिति में ख्वाजा साहब ने आपको इस क्षेत्र में जाने का आदेश दिया । आपका आदेश पा दन्ताला पीर यहां आये , एवं राक्षस को मार स्थानीय जनता को भयमुक्त किया । आप तन्हाई पसन्द थे । अत : यह स्थान आपको बहुत पसन्द आया । दन्ताला पीर जीवन पर्यन्त इसी स्थान पर रहे। हजरत सैय्यद सुल्तानशाह जिलानी रहमतुल्ला अलैय की मजार अरावली की पहाड़ियों के बीच करीब एक किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है आप की मज़ार करीब पांच फीट लम्बी है मजार के ऊपर आधी कटोरी के रूप में बड़ा सा पहाड़ आया हुआ है साथ ही इस मजार के आसपास अन्य पीर की मजारे भी मौजूद है।इनमें पांच पीरों की मजारें विशेष रूप में मशहुर है यहां पहुंचने के लिए पहाड़ी को काट कर करीब पांच सौ सीढिया बनाई हुई है जिसके माध्यम से मजार तक पहुंचा जा सकता है। इसके रास्ते में सुंदर प्रकृति नजारे देखने को मिलते है. आप का उर्स मुबारक बारावफात की पहली जुम्मेरात को मनाया जाता है जिसमे दूर दराज से भारी संख्या में जायरीन यहां आते है। इसके आलावा यहां पर चांद की जुम्मेरात एवं हर गुरुवार को भी भारी भीड़ देखने को मिलती है