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आखिर क्यों अरबपति बन जाते हैं कुछ मुट्ठीभर लोग अष्टम भाव उगले सोना 10 विशेष सूत्र वीडियो में: अष्टम भाव को पारंपरिक रूप से ज्योतिष में "दुर्गम" भाव माना गया है, क्योंकि यह मृत्यु, गूढ़ रहस्य, अचानक परिवर्तन, गुप्त धन, बीमा, उत्तराधिकार, टैक्स, रिस्क-टेकिंग इन्वेस्टमेंट्स, सेक्स, अनुसंधान, और पुनर्जन्म जैसे विषयों से जुड़ा होता है। लेकिन यही भाव, यदि अनुकूल ग्रहों और योगों के साथ हो, तो जातक को अचानक धन, गुप्त स्रोतों से लाभ, और विरासत या निवेश के माध्यम से अरबपति बनने की क्षमता प्रदान करता है। यहाँ अष्टम भाव से जुड़े 10 अत्यंत परिष्कृत, गहन और विश्लेषणात्मक सूत्र (योग) दिए जा रहे 🔟 अष्टम भाव से अरबपति बनने के 10 गूढ़ सूत्र (Deep Astrological Combinations) 1. अष्टम भाव में बलवान लाभेश (11वें भाव का स्वामी) 11वां भाव "लाभ", नेटवर्किंग, कमाई के स्त्रोतों से जुड़ा होता है। जब इसका स्वामी अष्टम भाव में आता है और उच्च, स्वराशि या मित्र राशि में होता है, तो यह "गुप्त स्त्रोतों से भारी लाभ" को दर्शाता है। यह योग जातक को स्टॉक मार्केट, गुप्त निवेश, बीमा कंपनियों, और अनुवांशिक संपत्ति के माध्यम से अरबपति बना सकता है। विशेष दृष्टि: यदि शनि या राहु भी इसमें सम्मिलित हों और उच्चस्थ हों, तो जातक बहुत बड़े औद्योगिक समूह या रियल एस्टेट से जुड़ सकता है। 2. अष्टम भाव में उच्च का या स्वराशि का बृहस्पति गुरु "धन", "वृद्धि", "ज्ञान" और "संपत्ति" का कारक है। जब बृहस्पति अष्टम भाव में उच्च (कर्क में) या स्वराशि (धनु/मीन) में होता है, तो यह जातक को गूढ़ ज्ञान, फाइनेंसियल प्लानिंग, रिसर्च से जुड़ी संपन्नता देता है। ऐसे जातक को लाइफ टाइम में बड़ा फाइनेंशियल ब्रेकथ्रू प्राप्त होता है। विशेष योग: यदि गुरु केंद्रेश या त्रिकोणेश होकर अष्टम में हो तो यह धन-राजयोग कहलाता है। 3. अष्टम भाव में शुक्र + बुध की युति (धनदायक योग) शुक्र धन, विलासिता, और व्यापार से जुड़ा है। बुध बुद्धि और गणना शक्ति का कारक है। इन दोनों का अष्टम भाव में शुभ स्थिति में होना, जातक को व्यापार, बैंकिंग, स्टॉक्स, लग्ज़री सेक्टर्स में जबरदस्त सफलता दिलाता है। यदि कन्या, तुला, वृष या मिथुन राशि में यह युति हो, तो परिणाम और भी प्रभावी होते हैं 4. अष्टमेश की नीचभंग स्थिति में उच्च का दृष्टि होना अष्टमेश (8वें भाव का स्वामी) यदि नीच राशि में हो लेकिन नीचभंग हो जाए (उदाहरण: शनि मेष में, पर गुरु या मंगल से दृष्ट हो), और उस पर बृहस्पति की दृष्टि हो, तो जातक के जीवन में "बड़ी वित्तीय कठिनाइयों के बाद जबरदस्त उत्थान" होता है। यह एक "Rise from Ruins" योग है – जो व्यक्तियों को गिरावट से उठाकर अरबों की संपत्ति 5. अष्टम भाव में राहु की उच्च स्थिति और शुक्र/बुध का सहयोग राहु गुप्त व्यापार, विदेशी संपर्क, आयात-निर्यात और टेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व करता है यह 'Unconventional Billionaire' योग है – जातक परंपरागत मार्गों से नहीं, अपितु जोखिम भरे क्षेत्रों से धन कमाता है। 6. अष्टम भाव, द्वितीय भाव और लाभ भाव के स्वामियों का त्रिकोण योग द्वितीय (धन), अष्टम (गुप्त धन), और एकादश (लाभ) – ये तीनों भाव यदि परस्पर दृष्ट या युति में हों, तो जातक को बहुस्तरीय स्त्रोतों से धन प्राप्त होता है। यह योग जातक को पैतृक संपत्ति, निवेश, बिज़नेस और सैलरी आदि सभी स्त्रोतों से आय देता है। 7. नवांश कुंडली में अष्टम भाव या अष्टमेश की बलवान स्थिति नवांश (D-9) कुंडली में अष्टमेश उच्च का, स्वराशि में या त्रिकोण भावों में हो, तो यह मूल कुंडली के योगों को सशक्त करता है। यह जातक को आध्यात्मिक गहराई और साथ ही वित्तीय स्थायित्व प्रदान करता है। ध्यान दें: मूल कुंडली से यदि अष्टम भाव कमजोर दिखे, पर नवांश में बलवान हो, तो भी अरबपति योग संभव है। 8. अष्टम भाव पर बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि (5वीं, 7वीं, या 9वीं दृष्टि) बृहस्पति की दृष्टि सबसे शुभ मानी जाती है। जब वह अष्टम भाव पर दृष्टि डालता है, तो गुप्त धन, सुरक्षा, आर्थिक स्थायित्व, और सत्कर्म से आने वाला धन प्राप्त होता है। यह योग जातक को "सुरक्षित और नैतिक धन के स्त्रोतों" से उन्नति देता है, जैसे इंश्योरेंस, लॉ, और हेरिटेज बिज़नेस 9. अष्टमेश केंद्र में और योगकारक ग्रहों से युक्त अष्टमेश यदि केंद्रों (1, 4, 7, 10) में स्थित हो और योगकारक ग्रहों जैसे गुरु, शुक्र, शनि आदि से युक्त हो, तो यह वित्तीय स्थायित्व और बड़ा लाभ देता है। जातक का ट्रांसफॉर्मेशन (Transformation) ही उसकी संपत्ति का कारण बनता है। 10. दशमेश और अष्टमेश का संबंध #jyotish #ashtmesh #ashtambhav #astrology #vedicjyotish #nakshtraduniya #predictions #viral #trending #jyotishkesutra #falitsutra @nakshtraduniya Contact Vishal Singh Call or WhatsApp 09039239708