У нас вы можете посмотреть бесплатно ।पंचम सुर में सबसे मधुर भजन। अवल वाणी अवल खानी, अवल रा उपकार है।श्री रतन पुरी गोस्वामी की मधुर आवाज। или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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#ratanpuri #मारवाड़ीभजन #bhajan #gopal #deshi_bhajan #guruji #देवल #ravindrasingh #ashok#डूंगरपुर #dungerpuri (कागों) कौओं ने उसे मृत जानकर उसकी आँखें खाने के लिए उसके माथे पर बैठ गए। शेष शरीर पर माँस नहीं था। फरीद बोला! हे कौओ! आप मेरी दो आँखें छोड़कर शरीर का सारा माँस खा लो। मैं परमात्मा देखना चाहता हूँ। इसलिए मेरी आँखें-आँखें छोड़ दो। जब फरीद बोला तो कौवे उड़ गए। शेख फरीद रस्से से पैर बाँधकर प्रतिदिन की तरह कुँए में लटक गया। खुदा कबीर जी एक जिंदा बाबा (अल-खिज्र) के वेश में कँुए पर आए तथा रस्सा पकड़कर फरीद को कँुए से निकालने लगे। शेख फरीद बोला भाई! आप मुझे ना छेड़। तू अपना काम कर, मैं अपना काम कर रहा हूँ। परमात्मा बोले कि आप क्या कर रहे हो? फरीद बोला कि मैं अल्लाह का दर्शन करने के लिए घोर तप कर रहा हूँ। परमात्मा ने कहा कि मैं ही अल्लाह अकबर हूँ। फरीद बोला! भाई मजाक मत कर। अल्लाह तो बेचून (निराकार) है। वह मानुष रूप में नहीं आता। परमात्मा ने कहा कि आप कहते हैं कि परमात्मा निराकार है। दूसरी ओर कह रहे हो कि परमात्मा के दर्शन (दीदार) के लिए घोर तप कर रहा हूँ। कहते हैं घाम का और ज्ञान का तो चमका-सा ही लगता है। विचार किया कि अल्लाह नहीं है तो अल्लाह का बाखबर अवश्य है। शेख फरीद ने चरण पकड़ लिए। तत्त्वज्ञान समझा। कबीर परमात्मा के द्वारा बताई साधना करके कल्याण करवाया।