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मंगल भवन अमंगल हारी | जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा | Shri Ramcharitmanas Chaupai | Vishal Saini चौपाई : मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी। जेहि विधि नाथ होइ हित मोरा, करहु सो बेगि दास मैं तोरा॥ यह पवित्र चौपाई श्रीरामचरितमानस से ली गई है, जिसमें भक्त प्रभु श्रीराम के चरणों में पूर्ण समर्पण भाव से प्रार्थना करता है। इस चौपाई का भाव यह है कि मनुष्य अपने कल्याण का निर्णय प्रभु पर छोड़ देता है और कहता है— हे नाथ, जिस प्रकार से मेरा हित हो, उसी प्रकार शीघ्र कृपा कीजिए, मैं आपका दास हूँ। यह भजन मन को शांति, धैर्य और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है तथा श्रीराम की करुणा, दया और मंगलमय स्वरूप का स्मरण कराता है। Song Details Song Name: मंगल भवन अमंगल हारी | जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा Singer: Vishal Saini Music: Vishal Saini Lyrics: Traditional (Shri Ramcharitmanas) Meaning : “मंगल भवन अमंगल हारी” — जो स्वयं मंगल के धाम हैं और समस्त अमंगल का नाश करने वाले हैं। “द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी” — हे दशरथनंदन श्रीराम, कृपा कर मेरे ऊपर प्रसन्न हों। “जेहि विधि नाथ होइ हित मोरा” — हे प्रभु, जिस प्रकार से मेरा कल्याण हो। “करहु सो बेगि दास मैं तोरा” — वही कार्य शीघ्र करें, मैं आपका सेवक हूँ।