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आधुनिक भारत का इतिहास (1915 -1947) History of Modern India (1915 -1947) | गांधी युग #History_of_Modern_India #Gandhi_era_1915 -1947) #bhart_ka_itihas #history_mahatma_gandhi #indian_history_in_hindi आधुनिक भारत का गांधी युग (लगभग 1915-1947) महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह दौर था, जिसमें अहिंसक सत्याग्रह, असहयोग, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो जैसे बड़े जन आंदोलनों के माध्यम से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी गई, जिसने भारतीय राजनीति और समाज को पूरी तरह बदल दिया, जिससे अंततः देश को आजादी मिली और यह भारतीय राष्ट्रवाद का एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ. गांधी युग की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से वापसी: मोहनदास करमचंद गांधी जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे, जहाँ उन्होंने सत्याग्रह के सिद्धांतों का प्रयोग किया था. राजनीतिक गुरु: उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह पर देश का अध्ययन किया और फिर आंदोलनों में सक्रिय हुए. प्रमुख आंदोलन और घटनाएँ चंपारण सत्याग्रह (1917): बिहार में नील किसानों के लिए पहला सत्याग्रह, जहाँ उन्हें 'महात्मा' की उपाधि मिली. अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन (1918): गांधी जी ने पहली बार भूख हड़ताल की. रोलेट सत्याग्रह (1919): गांधी जी एक सच्चे राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे. असहयोग आंदोलन (1920-22): खिलाफत आंदोलन के साथ मिलकर हिंदू-मुस्लिम एकता से ब्रिटिश शासन का अंत करने का प्रयास. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930s): नमक कानून तोड़ने के लिए 'नमक सत्याग्रह' (दांडी मार्च) और 11 सूत्रीय मांगें (लॉर्ड इरविन से). भारत छोड़ो आंदोलन (1942): 'करो या मरो' का नारा, स्वतंत्रता की अंतिम बड़ी लड़ाई. गांधीवादी दर्शन सत्याग्रह: सत्य और अहिंसा पर आधारित विरोध का तरीका. अहिंसा: बिना हिंसा के विरोध करना, जो ब्रिटिश सरकार के लिए असहनीय था. सर्वोदय: सभी का उत्थान, जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को शामिल किया गया. स्वदेशी: स्थानीय उत्पादों और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देना. प्रभाव और परिणाम गांधी जी ने आम भारतीयों (किसान, मजदूर, महिलाएं) को स्वतंत्रता संग्राम में जोड़ा, जिससे यह आंदोलन जन-आंदोलन बन गया. उनके नेतृत्व ने भारत को 1947 में आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय राष्ट्रवाद को एक नई दिशा दी.