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वैदिक ज्योतिष में केतु को राक्षस का धड़ कहा जाता है , केतु मोक्ष, उन्माद, कारावास, विदेशी भूमि का सुख और गन्दी और भद्दी भाषा का कारक है, लग्न भाव में केतु मनुष्य को बाहर रहस्य्मयी और षड्यंत्रकारी बनाता है, ऐसा मनुष्य अपनी समस्त बातों को गुप्त रखता है, और गुप्त तरीके से अनैतिक कार्य भी करता है, लग्न भाव में केतु रहस्य्मयी बिमारी और रहस्य्मयी उन्माद भी पैदा करता है. केतु के शुभ और अशुभ फल इसके साथ युति करने वाले ग्रह के ऊपर निर्भर करते है यह जिस ग्रह के साथ होते है वैसा फल देता है. केतु के लिए अधिक जानकरी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबरों पर संपर्क करें- वासु एस्ट्रो क्लासेज फोन नंबर - 9560208439 Whats app नंबर-9870146909