У нас вы можете посмотреть бесплатно तेरी छत्रछाया भगवन मेरे सिर पर हो ||✍️ सारस्वत कवि आचार्य श्री विभवसागर जी कृत||🎙️ROOPESH JAIN || или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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CHANNEL* तेरी छत्रछाया भगवन मेरे सिर पर हो मेरा अंतिम मरण समाधि तेरे दर पर हो।। __________________________________________ रचयिता -- सारस्वत कवि आचार्य श्री 108 विभवसागर जी मुनिराज गायन रूपेश जैन संगीत पंकज ठाकुर ध्वनिमुद्रण स्वरदर्पण स्टूडियो जबलपुर प्रस्तुति R .J.CREATIONS...AND ..VAISHALI CESSETTES संपर्क 9425882104 9926048017 __________________________________________ समाधि मरण प्रत्येक जैन श्रमण एवं श्रावक के जीवन का अंतिम लक्ष्य होता है। सम्पूर्ण जीवन त्याग,तप, संयम, साधना,पूर्वक जीकर अंतिम समय मे पूर्ण सजगता से अपनी जीर्ण शीर्ण एवम नश्वर देह का समतापूर्वक त्याग करना संलेखना या समाधि मरण है। सम्पूर्ण संयममय जीवन मे समाधि प्राप्त होना जिनालय पर स्वर्ण शिखर चढ़ने के समान है। परम पूज्य सारस्वत कवि आचार्य गुरुदेव श्री विभवसागर जी द्वारा रचित अनेको अतुल्य एवं अद्भुत रचनाओं में समाधि भक्ति ऐसी कालजयी रचना है जो सम्पूर्ण विश्व मे प्रत्येक जैन के हृदयों में बसी हुई है। आचार्य गुरुदेव का अनमोल चिंतन एक क्षपक के परम विशुद्ध भावों एवं शुभोपयोग को इतने मार्मिक रूप से कहते हैं कि सुनने वाले का हृदय अभिभूत हो जाता है। ये कृति नित्यप्रति सुनने से हम सभी के हृदय में जीवन को सार्थक करने की भावना बलवती बने और हम सजगता से जीवन जिये इसी भावना के साथ ये भक्ति काव्य आप सभी के लिए प्रस्तुत है। इसे सुनिये और अपने भावों की अभिव्यक्ति अवश्य कीजिये। चैनल को सब्सक्राइब करके जुड़े रहिये प्रत्येक नई प्रस्तुति से............. __________________________________________