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लोकतंत्र का मुख्य स्तंभ, न्याय जगत गहरे ‘संकट’ में है. क्यों संकट में है? देश से छिपा हुआ नहीं है. देश में लगातार ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं, जिससे यह महसूस हो रहा है, ये महत्वपूर्ण स्तंभ कमजोर हो रहा है. देश में ‘नरम और गरम दल’ आजादी की लड़ाई से ख्यात रहे हैं. ज्यूडीशरी पर बढ़ते ‘दबाव’ की घटनाओं, परोक्ष-अपरोक्ष हमलों और बद्तमीजियों पर ‘न्यायपालिका क्षेत्र’ साफ तौर पर दो फाड़ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर, RSS समर्थक वकील द्वारा जूता फेंकने/हमला बोलने की घटना ने देश को जमकर झकझोरा है. जस्टिस गवई ने बड़ा दिल दिखाया, गांधीजी का ‘सिद्धांत’ अपनाया. माफ कर दिया. संघ और उसके ‘खैरख्वाह’ (ख़ासकर गोदी-मोदी मीडिया) बद्तमीजी की निंदा की बजाय ‘बदतमीज़’ का महिमा मंडन करने लगा. बात बिगड़ गई. गरम दल झल्लाकर मैदान में आ डटा है. क्या मैदान भर में आना पर्याप्त है? आज की डिबेट इसी पर. ज़रूर देखिए-सुनिए, एक्सपर्ट्स व्यू. आज के मेहमान मेहमूद प्राचा - सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट नरेन्द्र मिश्रा - सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट अरूण दीक्षित - सीनियर जर्नलिस्ट रवीन्द्र सिंह श्योराण - सीनियर जर्नलिस्ट 🎙️ New to streaming or looking to level up? Check out StreamYard and get ₹740 discount! 😍 https://streamyard.com/pal/d/64058281...