У нас вы можете посмотреть бесплатно भगवान कृष्ण ने अक्रूर जी को दिखाया अपना विराट स्वरूप, कुब्जा का किया उद्धार | Shri Krishna Jeevani или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
दर्शकों के विशेष अनुरोध पर श्री कृष्ण जीवनी का यह विशेष संस्करण आपके समक्ष प्रस्तुत है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कथाओं का संकलन किया गया है। द्वापर युग में मथुरा के राजा उग्रसेन की पुत्री देवकी का विवाह यदुवंशी शूरसेन के पुत्र वसुदेव के साथ बड़ी ही धूमधाम किया जाता है। विदाई के समय वसुदेव देवकी के भाई कंस को वचन देता है कि उसके कारण देवकी को कभी कष्ट नहीं होगा। देवकी से अत्यधिक प्रेम होने के कारण कंस स्वयं देवकी और वसुदेव के रथ का सारथी बन कर उन्हें उनके महल तक छोड़ने के लिए जाता है। तभी मार्ग में आकाशवाणी होती है कि देवकी के आठवें गर्भ की सन्तान कंस को मार डालेगी। अपनी मृत्यु की आकाशवाणी सुनकर कंस भयभीत हो उठता है और उसी क्षण देवकी को मारने के लिए तलवार खींच लेता है।, तो वसुदेव उसे रोकते हुए धर्म की बातें समझाते है और साथ ही उसे वचन देते है कि वह देवकी के प्रत्येक संतान को वह स्वयं लाकर उसे सौंप देगा। कंस देवकी और वसुदेव के महल के चारों ओर पहरा लगवा देता है, लेकिन जब यह सूचना राजा उग्रसेन को मिलती है, वह पहरा हटवा देते है। इससे क्रोधित होकर कंस अपने विश्वासपात्र मंत्रियों के साथ राजा उग्रसेन के विरुद्ध षडयंत्र रचने लगता है। समय बीतता है और देवकी अपने पहले पुत्र जन्म देती है। वसुदेव अपने वचनानुसार उसे कंस के पास ले जाता है, लेकिन आकाशवाणी को स्मरण करते हुए कंस सोचता है कि उसकी मृत्यु तो आठवें पुत्र से होनी है, तो इस पहले शिशु की हत्या कर वह क्यों पाप का भागी बने। यही सोचकर वह बालक को वसुदेव को लौटा देता है। परंतु कंस का विश्वस्त मंत्री चाणुर उसे समझाता है कि विष्णु छलिया है और वह उसके साथ छल कर सकता है। चाणुर की सलाह पर कंस पुनः अपनी क्रूरता पर उतर आता है और वह स्वयं देवकी के महल में जाता है और नवजात शिशु को छीनकर पत्थर पर पटककर उसकी हत्या कर देता है और फिर देवकी तथा वसुदेव को बंदीगृह में डाल देता है। कंस देवकी से होने वाली संतानों को क्रमशः मारने लगता है तथा अपने षडयंत्र करके अपने पिता राजा उग्रसेन को एक अलग बंदीगृह में डाल देता है और स्वयं राजसिंहासन पर बैठ जाता है। उसके अत्याचार और षडयंत्रों का सिलसिला यहीं से आरंभ हो जाता है। कंस इसी प्रकार देवकी के छह संतानों की हत्या कर देता है। सम्पूर्ण जगत में भगवान विष्णु के आठवें अवतार एवं सोलह कलाओं के स्वामी भगवान श्री कृष्ण काजीवन धर्म, भक्ति, प्रेम, और नीति का अद्भुत संगम है। वसुदेव और देवकी के पुत्र के रूप में कारागार में जन्म लेकर गोकुल की गलियों में यशोदा और नंदबाबा के यहाँ पलने वाले, अपनी लीलाओं, जैसे पूतना वध, माखन चोरी, राधा के संग प्रेम, गोपियों के साथ रासलीला और कालिया नाग के दमन के लिए प्रसिद्ध श्री कृष्ण ने युवावस्था में मथुरा कंस का वध करके जनमानस को उसके अत्याचार से मुक्त कराया एवं स्वयं के लिए द्वारका नगरी स्थापना भी की। उनका जीवन केवल लीलाओं तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज को धर्म और कर्म का गूढ़ संदेश देने के लिए महाभारत के युद्ध में पांडवों का मार्गदर्शन किया और अर्जुन के सारथी बनकर उसे ""श्रीमद्भगवद्गीता"" का उपदेश दिया, जो आज भी जीवन की समस्याओं का समाधान बताने वाला महान ग्रंथ माना जाता है। श्री कृष्ण का जीवन प्रेम, त्याग, और नीति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। आपका प्रिय चैनल ""तिलक"" श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ा यह विशेष संस्करण ""श्री कृष्ण जीवनी"" आपके समक्ष प्रस्तुत है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कथाओं का संकलन किया गया है। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिए और तिलक से जुड़े रहिए। #tilak #krishna #shreekrishna #shreekrishnajeevani #krishnakatha