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हाडी राणी की शौर्य गाथा भाग 2|| HADI RANI KI SHOURYA GATHA PART 2 || अमर सैनाणी || LEELA RATNU LIKE | SHARE | COMMENT | SUBSCRIBE ------------------------- AUDUO & VIDEO Credits:- ------------------------- ♪ Song : हाड़ी रानी की शौर्य गाथा ♪ Singer : Leela Ratnu ♪ Lyrics : Vasudev Singh Mahiyariya (87695 60096) ♪Music: Leela Ratnu ♪ Mix-Master : Mr. vicky ♪ Recording :MKR Studio Harlayan ♪ Editor : Leela Ratnu ♪ Director : Kavi Ashok Ratnu ♪ Music Label : Leela Ratnu Official ♪ Mewadi Ratan || हाड़ी रानी की शौर्य गाथा|| HADI RANI| डिस्क्लेमर:- यह रचना सुप्रसिद्ध हाडी रानी के त्याग और मेवाड़ के शौर्य पर आधारित वीर रस की एक कविता/गीत है। जैसा कि कविता और गीत के सृजन के लिए यह अपरिहार्य हो जाता है कि रचनाकार अपनी कल्पना और अंतर्दृष्टि का प्रयोग छंद और गीत के लय को बनाए रखने के लिए करे। इसलिए इस गीत/कविता के सृजन के लिए भी रचनाकार को ऐतिहासिक तथ्यों की सीमा से बाहर जाना एक मजबूरी थी। इसलिए इस गीत के रचनाकार,गायक और टीम इसके ऐतिहासिक होने अथवा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित होने का कोई दावा नहीं करती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति संस्था वर्ग अथवा समूह को इस कविता के पूर्ण अथवा कविता के किसी अंश के किसी ऐतिहासिक घटना व्यक्ति अथवा संबोधन साम्यता केवल संयोग मात्र है। इसलिए इस कविता अथवा इसके किसी अंश को शब्दशः पढ़ने पर अथवा अन्यथा संयोग वश किसी को व्यक्ति ,घटना,वर्ग या संबोधन के लिए उत्पन्न किसी भी साम्यता से किसी को ठेस पहुँचती है तो उसके लिए हार्दिक खेद है। लेखक और निर्माता का उद्देश्य इस गीत के माध्यम से राजस्थान की संस्कृति वीरता त्याग शौर्य और बलिदान को रेखांकित करना मात्र है। #Hadi_Rani_Ki_Shourya_Gatha_part2 #हाडीराणी #अमरसैनाणी #प्रजा_ओर_राष्ट्र_बड़ों_होव #part2_hadirani #hadiranikahani #hindubhajan #hadirani #माथा_री_मेलू_सहनाणी_ #leelaratnu #मेवाड़_की_शौर्य_गाथा #चूंडाजी #रावरतनसिंह #सेहल_कंवर #rajputana #RajputanaGourav #rajputi#Amarsenani #माथा_री_मैळू_सेनाणी mewad Ki Shourya Gatha Hadi Rani Instagram viral अमर सैनाणी Leela Ratnu महाराणा प्रताप सोंग Leela Ratnu Harlayan Mewadi Ratan Maharana Partap Song Sanjaymukudndgarh Parkash Mali Leela Ratnu Hadi Rani Part 2 Hadi Rani ki Amar Rachna Hadi Rani special geet Rajputana Virasat Rajputana itihaas Mewad ka Gourav Rajasthani hit song Rajasthani Gatha Veerta ka Pratik Bharat ka Veer Putra हाड़ी रानी की रचनाएं अमर सैनाणी हाड़ी रानी कथा हाडा कुळ मान बढावण ने विधना किण संचे मांय ढळी Veer Siromni Maharana Partap Chetk वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप प्रकाश माली भजन ,,,,,,सेनाणी भाग 2,,,,,, सगल़ा उमराव बिठा सागे गादी पर बेठ्या महाराणा। रण तो रजपूतां रो तीर्थ रण में हंसता हंसता जाणा।। जद संकट पड़े धरम ऊपर रण में जावण री चाह करे। तलवार म्यान सूं झट काढे प्राणा री ना परवाह करे।। अब मूं रूपनगढ जांऊला चित में चढगी है चारूमति। शिशोद्या कुल़ जीवित रहता सूती रहवे नहीं रजपूती।। सांगा कुंभा रो वंशज हूं उतरे नहीं रजपूती पाणी। चारू, सारू मम तन वारूं मेवाड़ी बणसी महाराणी।। पातल बन बन मांही भटक्यो पर ना अधीनता स्वीकारी। तन टूट गयो मन नही टूट्यो हिवड़े में हिम्मत ना हारी।। परजा अर राष्ट्र बड़ो होवे उण रे खातिर तन घाव सहे। अर धरम धजा राखे धर पे उणने सांचो रजपूत कहे।। थें आज हरावल़ दस्ता रा चूंडावत मोटा अगवाणी। सेना रे मांही जोश भरो नहीं आज सल़ूबंर पत जाणी।। अजयमेरू आड़ावल़ गिरी पे मेवाड़ी सेना जावे। मुगला सूं दो दो हाथ करो। रूपनगढ में नहीं आ पावे।। तब तक रूपनगढ जाकर कुंवरि ने जाय वरूंला मूं। रजपूतां री इज्जत रह जावे पेहला ओ काम करूंला मूं।। ओरंग री सेना निधड़क होकर रूपनगढ जाय रही। उत राजपूत सेना आड़ावल़ में गोल़ा बरसाय रही।। ओ देख अचाणक हमला ने जद मुगल तुरत मन में डरिया। तलवार लियां सिंगण जाया तन बाना बांध्यां केशरिया।। आड़ावल ऊंचा मगरां मे दोन्यूं फोजा सामे भिड़गी। रजपूती तलवारां मुगला रे गोल़ा पर भारी पड़गी।। धिन धिन है थारी मायड़ ने मुगला री छाती पर तणग्यो। रण मांही हाहाकार मच्यो बिकराल काल़ चूंडो बणग्यो।। ये शेषनाग री सेजां सूं सागर में देख रिया हरि रण। बोली लिछमी गल़ मुंड डाल शूरो रण आज लड़े है कुण।। आ रण वीरां री धरती है ये धरम काज रणखेत लड़े। गल़ मुंड डाल नवपरणी रो रण आज सल़ूबंर धीश लड़े।। रण मांही रगत नदी बहगी पुरखां री मरझादा राखी। वीरां रे शव धरणी भरगी ये चांद सूरज दो हा साखी।। औरंगजेब डर्यो चूंडा सू ओर बण्यो भीगी बिल्ली। अपणी सेना री जान बचा वो दोड़ गयो पल में दिल्ली।। रण जातां पिव ने शीश दियो सत राखूं उण सेहनाणी रो। ज्यो धरम राख दिल्ली तज दी पत रहग्यो उण छतराणी रो।। ज्यूं कान्ह चल्या कुंदणापुर सूं रथ बिठा रूकमणी नार लियां। उण तरह राज राणा रथ में चाल्या रूपनगढ रूप लिया।। छतराण्या साहस नी रखती तो राजस्थान नहीं रेहतो।, सुवरण हो तो कछु पास,,वसु,, सोने रे आखर लिख देतो।। वासुदेव सिंह महियारिया राजपुरा कृत