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नीलकंठ वर्णी का संपूर्ण जीवन चरित्र। Nilkanth varni ki katha|| shwaminarayan||

नीलकंठ वर्णी का संपूर्ण जीवन चरित्र। Nilkanth varni ki katha|| shwaminarayan|| #adhyatmikgyan #nilkanth varni ki katha #nilkanth varni #shwaminarayan #नीलकंठ वर्णी नीलकंठ वर्णी अथवा स्वामीनारायण का जन्म उत्तरप्रदेश में हुआ था। इनके जन्म के पश्चात्  ज्योतिषियों ने देखा कि इनके हाथ और पैर पर “ब्रज उर्धव रेखा” और “कमल के फ़ूल” का निशान बना हुआ हैं। इसी समय भविष्यवाणी हुई कि ये बच्चा सामान्य नहीं है , आने वाले समय में करोड़ों लोगों के जीवन परिवर्तन में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। इनके कई भक्त होंगे और उनके जीवन की दिशा और दशा तय करने में नीलकंठ वर्णी अथवा स्वामीनारायण का बड़ा योगदान रहेगा। हालाँकि भारत में महाराणा प्रताप ,छत्रपति शिवाजी महाराज और पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धा पैदा हुए ,मगर नीलकंठ वर्णी का इतिहास सबसे अलग हैं। मात्र 11 वर्ष कि आयु में घर त्याग कर ये भारत भ्रमण के लिए निकल पड़े। यहीं से  नीलकंठ वर्णी का जीवन चरित्र का शुभारम्भ हुआ। मृत्यू के समय आयु– 49 वर्ष। नीलकंठ वर्णी  अथवा स्वामीनारायण का जन्म उत्तरप्रदेश के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। नीलकंठ वर्णी अथवा स्वामीनारायण का असली नाम घनश्याम पांडे था। इनका नामकरण इनके माता-पिता द्वारा किया गया। 5 वर्ष कि आयु से ही इनकी शिक्षा दीक्षा शुरू हो गई। 11 वर्ष कि आयु में जनेऊ धारण कर ली। शास्त्र अध्ययन में बचपन से ही गहरी रुचि थी। मात्र 11 साल कि उम्र में कई मुख्य शास्त्रों का अध्ययन कर लिया।छोटी सी उम्र में माता पिता का साया उठ गया। कहते हैं कि भाई से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और ये विरक्त हो गए। स्वामीनारायण अर्थात् घनश्याम पांडे ने घर त्याग कर भारत दर्शन के लिए निकल पड़े। यहीं से नीलकंठ वर्णी का जीवन चरित्र का शुभारम्भ हुआ।

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