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Uttarakhand History of Panwar dynasty, 52 गढ़ जिन्हें गढ़देश कहा गया, Uttarakhand का सुनहरा दौर 1 год назад


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Uttarakhand History of Panwar dynasty, 52 गढ़ जिन्हें गढ़देश कहा गया, Uttarakhand का सुनहरा दौर

Uttarakhand History of Panwar dynasty, 52 गढ़ जिन्हें गढ़देश कहा गया, Uttarakhand का सुनहरा दौर आज हम आपको उत्तराखण्ड के इतिहास का वह सुनहरा दौर जब पहाड़ों के बीच बसे राजदरबार का उत्तराखण्ड के 52 गढ़ों पर राज था। पहले यहां 52 गढ़ हुआ करते थे, इसलिए इसे बावन गढ़ों का देश “गढ़देश” कहा जाता था। असल में तब गढ़वाल में 52 राजाओं का आधिपत्य था। उनके अलग अलग राज्य थे और वे स्वतंत्र थे। इन 52 गढ़ों के अलावा भी कुछ छोटे छोटे गढ़ थे जो सरदार या थोकदारों (तत्कालीन पदवी) के अधीन थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इनमें से कुछ का जिक्र किया था। ह्वेनसांग छठी शताब्दी में भारत में आया था। इन राजाओं के बीच आपस में लड़ाई में चलती रहती थी। माना जाता है कि नौवीं शताब्दी लगभग 250 वर्षों तक इन गढ़ों की स्थिति बनी रही लेकिन बाद में इनके बीच आपसी लड़ाई का पवांर वंश के राजाओं ने लाभ उठाया और 15वीं सदी तक इन गढ़ों के राजा परास्त होकर पवांर वंश के अधीन हो गये। इसके लिये पवांर वंश के राजा अजयपाल सिंह जिम्मेदार थे जिन्होंने तमाम राजाओं को परास्त करके गढ़वाल का नक्शा एक कर दिया था। रीनगर गढ़वाल का महल (1882) सौजन्य : भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण गढ़वाल में वैसे आज भी इन गढ़ों का शान से जिक्र होता और संबंधित क्षेत्र के लोगों को उस गढ़ से जोड़ा जाता है। यह एक तथ्य है कि पहाड़ी के ऊपर, किले के अवशेष गांव से एक किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पर हैं जो गढ़वाल में सबसे पुराने हैं तथा देखने योग्य भी हैं। अवशेष के आगे एक विष्णु मंदिर है, जहां से कुछ वर्ष पहले मूर्ति चुरा ली गयी। दीवारें मोटे पत्थरों से बनी है तथा कई में आलाएं या काटकर दिया रखने की जगह बनी है। फर्श पर कुछ चक्राकार छिद्र हैं जो संभवत: ओखलियों के अवशेष हो सकते हैं। एटकिंसन के अनुसार किले का क्षेत्र 1.5 एकड़ में है। वह यह भी बताता है कि किले से 500 फीट नीचे झरने पर उतरने के लिये जमीन के नीचे एक रास्ता है। चमोली जिले में उन्हीं 52 गढ़ों में से एक गढ़ चांदपुर गढ़ स्थित है. जो अपने आप में कई खूबसूरत रहस्यों को छुपाए हुआ है. क़िले के पत्थरों पर की गयी कलात्मक नक्काशी से जान पड़ता है कि यह राज्य कला के क्षेत्र में संपन्न रहा होगा। किले के चारों और पत्थरों से बने पानी के निकासी द्वार हैं वहीं पत्थरों से बनी नालियाँ भी हैं । जो सारे किले के चारों और फैली है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे किले में सफाई की उचित व्यवस्था रही होगी। #uttarakhandhistory #panwarrajwansh #52garhchandpur

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