У нас вы можете посмотреть бесплатно भगवान श्री कृष्ण को समर्पित मैनपुरी का प्रसिद्ध बिहारी जी मंदिर | 4K | दर्शन 🙏 или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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श्रेय: संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल लेखक - रमन द्विवेदी भक्तों नमस्कार! प्रणाम और सादर अभिनन्दन है हमारे इस धर्म, आस्था और अध्यात्म से जुड़े लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन में। भक्तों आज हम अपने कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं वो मंदिर है मैनपुरी का बिहारी जी मंदिर! मंदिर के बारे में: भक्तो बिहारी जी का मंदिर, पूर्णतः भगवान् श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिर है। यह मंदिर उत्तरप्रदेश के मैनपुरी शहर के मोहल्ला चौथियाना- भाट नगर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण भगवान् श्रीकृष्ण की लीलास्थली श्रीधाम वृन्दावन स्थित श्री बांके बिहारी जी के मंदिर के तर्ज़ पर हुआ है। ब्रिटिश शासनकाल में तत्कालीन स्थानीय जिला कलेक्टर रहे फैड्रिक सोलोमन ग्राउस ने भी अपनी पुस्तक द डिस्ट्रिक्ट मेमोरीज में इस मंदिर का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ब्रिटिश प्रशासन के कड़े विरोध के पश्चात् भी बिहारी जी विद्वान सेवायतों ने बिहारी के मंदिर करवा लिया था और प्रशासन उन्हें रोकने में पूर्णतः असफल रहा। जो लाखों श्रद्धालुओं और कृष्ण भक्तों की गहन आस्था का केंद्र बना है। मंदिर का इतिहास: भक्तो मैनपुरी के बिहारी जी का मंदिर का निर्माण जयपुर के तत्कालीन महाराजा सवाई रामसिंह के योगदान से हुआ है। इतिहासकारों के अनुसार वर्ष 1835 से वर्ष 1881 तक जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह का कार्यकाल था। उन्होंने अपने शासनकाल में मथुरा, वृन्दावन तथा ब्रजमंडल के करीबी धार्मिक, ऐतिहासिक मंदिरों, भवनों और धर्मशालाओं के पुनरुद्धार सहित नवनिर्माणों का संकल्प लिया था। इसी दौरान बिहारी जी के सेवायतों के प्रयास और जयपुर के महाराजा सवाई रामसिंह की सहायता से मैनपुरी के बिहारी जी के मंदिर का भी निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था। यह मंदिर अब से लगभग 160 वर्ष पूर्व 13 वर्षों के कड़े परिश्रम के पश्चात् बनकर तैयार हुआ। उस समय जब चांदी के एक रुपये के सिक्के का वजन 12 ग्राम होता था तब इस मंदिर के निर्माण में 70 हजार रुपयों के चांदी के सिक्के खर्च हुए थे। जिनका वर्तमान मूल्य लगभग 6 करोड़ रुपये है। मंदिर की वास्तुकला: भक्तों मैनपुरी स्थित बिहारी जी के मंदिर की वास्तुकला और निर्माण शैली भारतीय वास्तुकारों और शिल्पकारों कला का उत्कृष्ट और अनुपम उदाहरण है। यह मंदिर पूर्णतः राजस्थानी स्थापत्य कला पर आधारित है। मंदिर निर्माण के लिए प्रयुक्त लाल तथा सफ़ेद संगमरमर पत्थरों क सामंजस्य देखते ही बनता है। जिसे देखकर यहाँ आनेवाले यात्री और पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। उत्सव व् त्यौहार: भक्तों मैनपुरी के बिहारी जी मंदिर में रामनवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी, कजली तीज, गोकुल अष्टमी, शरद पूर्णिमा, दीवाली, अन्नकूट, होली, रंगपंचमी और श्रावण में झूलनोत्सव आदि सभी त्यौहार और उत्सव् हर्षोल्लास तथा धूमधाम से मनाये जाते हैं किन्तु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और श्री राधा अष्टमी इस मंदिर के लिए अति विशिष्ट त्यौहार और उत्सव होते हैं। इन अवसरों पर मंदिर को फूलों, पत्तों और वन्दनवारों से सजाया जता है। बिजली के रंग बिरंगी जगमगाती लड़ियाँ लगाईं जाती है। इन त्योहारों में मंदिर साज सज्जा तो विशेष होती ही है भगवान् की पूजा अर्चना भी विशेष होती है। कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। सुबह से लेकर देर रात्रि तक भजन, कीर्तन और बधाइयों का सिलसिला चलता है। इन उत्सवों में शामिल होने के लिए भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। मंदिर परिसर: भक्तों मैनपुरी के बिहारी जी मंदिर के परिसर में भगवान् बिहारी जी के अतिरिक्त श्री राधा कृष्ण, हनुमानजी, 10 महाविद्यायों और कुलदेवी की झांकियों के दर्शन होते हैं। मयन ऋषि और मैनपुरी: भक्तों एक लोककथा के अनुसार- प्राचीन समय में यहाँ मयन नाम के एक परम तपस्वी ऋषि अपनी वृद्धा माँ के साथ रहा करते थे। किसी ऋषि कन्या से उनका विवाह तय हो गया। वो विवाह हेतु बरात लेकर जा रहे थे। कुछ सामान आश्रम में छूट जाने के कारण उन्होंने बरात को रास्ते में ही विश्राम करने को कहा और स्वयं वापस आश्रम गए। आश्रम पहुंचकर उन्होंने देखा कि उनकी मां असमय भोजन कर रही थी। मयन ऋषि ने माँ से असमय भोजन करने का कारण पूछा तो मां ने कारण बताते हुए कहा कि “पुत्र क्या पता मेरी पुत्रवधू मुझे भोजन दे या न दे। इसलिए मैंने सोचा, जब तक पुत्रवधू नहीं है तब तक जी भर के भोजन कर लूं। माँ की बात सुनकर से मयन ऋषि बहुत क्षुब्ध हुए और कभी भी वापस लौटकर न आने की बात कही। उन्होंने क्षोभ और क्रोध के कारण अपने तपोबल न केवल पूरी बरात पत्थर बना दिया बल्कि स्वयं भी पत्थर में परिवर्तित हो गए। कहा जाता है पत्थर में परिवर्तित हुए मयन ऋषि का शरीर नगरिया गांव में और बराती धारऊ गांव में पत्थर की मूर्ति बनकर पडे़ हैं। मयन ऋषि को तेल: भक्तों मैनपुरी के नगरिया और धारऊ आदि गाँवों में आज भी किसी का विवाह होता है तो विवाह से पहले विवाह करने जा रहे युवकों और युवतियों द्वारा मयन ऋषि के पत्थर बन चुके शरीर के पर तेल चढ़ाने की परम्परा निभाई जाती है। और विवाह के पश्चात नव वर-वधु यहां आशीर्वाद लेने आते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से नवदम्पति का दाम्पत्य जीवन का निर्वहन सुख और शांति के साथ होता है। भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏 इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏 #devotional #temple #vlogs #hinduism #biharijimandir #lordkrishna #kanha #uttarpradesh #tilak