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#कोरोनाकाल: धरती के भगवान बने व्यापारी, इलाज के नाम पर काला #कारोबार . कोविड अस्पताल में व्यवस्था की बदहाली से हुई सैकड़ों कोरोना मरीजों की मौत . #हरदोई। जिले के सरकारी आंकड़ों को माने तो 06 जून तक जिले में कोरोना से मरने वाले मरीजों की संख्या 334 है, पर हकीकत इससे कहीं अधिक भयावह है। करोना के नाम पर जिस तरह जिले में बदहाली और अव्यवस्थायें देखने को मिली उसके चलते सैकड़ों मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मरीजों उपचार के लिए धरती के भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों ने स्वार्थ और लालच के चलते मरीजों के परिजनों का जमकर आर्थिक शोषण किया। उल्लेखनीय है कि अप्रैल और मई माह में जिस प्रकार करोना ने अपना कहर बरपाया उससे शायद ही कोई घर बच पाया हो। बड़ी संख्या में लोग करोना संक्रमण के शिकार हुए। उपचार की आस में जिले में बने कोविड हॉस्पिटल में भर्ती हुए। इसी बीच बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों ने होम आइसोलेशन के द्वारा भी अपना उपचार कराने का प्रयास किया। भले ही प्रशासन द्वारा कोविड अस्पतालों में सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद होने के दावे किए जाते रहे हो पर सच्चाई यह रही कि कोविड अस्पताल न सिर्फ बड़ी संख्या में मरीजों की मौत का कारण बने बल्कि वहां तैनात चिकित्सकों और कर्मचारियों ने उपचार के नाम पर जमकर मरीज के परिजनों का आर्थिक शोषण किया। एल-2 के डॉ. प्रतीक नलवा का संवेदनहीन #कारनामा . लखनऊ मार्ग स्थित एल 2 हॉस्पिटल में तैनात चिकित्सक प्रतीक नलवा के संबंध में एक मरीज के परिजन और एक मेडिकल स्टोर संचालक के मध्य हुई बातचीत का ऑडियो वायरल होने से उपचार के नाम पर हो रहे काले कारोबार की असली सच्चाई सामने आ गई। वायरल हुए ऑडियो में रेलवेगंज स्थित आरबी फार्मा नाम से एक होलसेल दवा व्यापारी तथा कोविड मरीज के परिजन की आपस में हुई बातचीत में दवा व्यापारी पूरे विश्वास के साथ मरीज के परिजन को डॉक्टर प्रतीक नलवा का नाम लेकर अपने यहां से दवा लिखने की बात कह रहा है, जो दवाई एक नामी कंपनी अधिकतम 4000 रूपये में बेचती है वही दवा की कीमत डिस्काउंट करने के बाद मेडिकल संचालक 24000 बता रहा है। . उपचार के नाम पर जमकर हुई #लूट . जिस समय कोरोना लोगों को दर्द दे रहा था, उसी समय व्यवस्थाओं की बदहाली लोगों की परेशानी को और अधिक बढ़ा रही थी। जिस एल-2 में उपचार का भरोसा लेकर मरीज को भर्ती कराया जाता था उसके चिकित्सक और कर्मचारी मरीज के परिजन को दुधारू गाय समझकर आर्थिक शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। सूत्रों की माने तो जहां चिकित्सक बाहर से दवाएं मंगाने के नाम पर कमीशन खोरी कर रहे थे तो वही वार्ड बॉय और सफाई कर्मचारी इंजेक्शन लगाने से लेकर चादर बदलने तक के नाम पर मरीज से जमकर उगाही कर रहे थे। इसी स्वार्थ और लापरवाही का नतीजा यह रहा कि कोविड हॉस्पिटल में भर्ती बड़ी संख्या में मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा तो वहीं दूसरी ओर होम आइसोलेशन में रहने वाले अधिकांश मरीज अपने निजी स्तर पर उपचार के उपरांत स्वस्थ हो गए। - बाहुबली न्यूज़ MYogiAdityanath