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दानवीर कर्ण से जुड़ा है हरियाणा के शहर का इतिहास | Karnal city Name on Daanveer Karan | #local18 #Daanveerkaran #karnalnews #mahabharat #haryananews हिमांशु नारंग/करनाल. राजा कर्ण की नगरी करनाल. इस शहर का इतिहास महाभारत काल से भी पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि इस शहर को दानवीर कर्ण यानी कि महाभारत काल के उस दानवीर योद्धा ने बसाया था जिसे हम महाराजा कर्ण के नाम से जानते हैं. महाभारत युद्ध से जुड़े किस्से-कहानियां का संबंध हरियाणा के कई जिलों से हैं. आज भी राज्य में कई ऐतिहासिक स्थान जो महाभारत के धरोहर के तौर पर सरंक्षित हैं. इन्हीं में से एक है करनाल. करनाल के नामकरण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. आज हम आपको करनाल के नामकरण के पीछे का रोचक किस्सा बताने जा रहे है . करनाल का नाम राजा कर्ण के नाम पर पड़ा. महाभारत का अहम किरदार कर्ण जो महाभारत के महान योद्धाओं में से एक है. कर्ण एक महान योद्धा होने के साथ-साथ दानवीर भी थे. राजा कर्ण ने दान मांगने की इच्छा से आए किसी भी याचक को कभी निराश नहीं किया. कहा जाता है दानवीर राजा कर्ण रोज सुबह कर्णताल में स्नान कर भगवान शिव का जलाभिषेक कर अपने वजन के बराबर सोना दान करते थे. भगवान श्री कृष्ण ने मांगी थी राजा कर्ण से भिक्षा यह कहानी महाभारत के युद्ध का है. युद्ध के आखिरी पड़ाव में जब कर्ण मृत्यु-शैय्या पर पड़े थे. तो भगवान कृष्ण और अर्जुन ब्राह्मण के वेश में उनके पास गए और उनसे स्वर्ण का दान करने के लिए कहा. राजा कर्ण के पास उस समय सिर्फ एक स्वर्ण-दन्त था. जिसे निकाल कर राजा कर्ण ने श्रीकृष्ण को दान में देना चाहा. लेकिन श्री कृष्ण ने इसे इसलिए अस्वीकार किया क्योंकि स्वर्ण-दन्त अप्रक्षालित था और एक ब्राह्मण न उसे धो सकता था और न ही उसे धोने के लिए जल ला सकता था. इस पर राजा कर्ण ने भूमि पर एक बाण फेंका और तत्काल स्वच्छ जल का एक झरना फूटा. झरने में बहते पानी से राजा कर्ण ने स्वर्ण-दन्त धोकर अपनी दानवीरता का आखिरी परिचय दिया. राजा कर्ण को समर्पित है यह पार्क करनाल जिले में अभी भी कर्णताल पार्क मौजूद है, जो राजा कर्ण को समर्पित है .पार्क में राजा कर्ण की एक बहुत बड़ी प्रतिमा है. साथ ही एक सरोवर भी बना हुआ है. उसी सरोवर में राजा कर्ण की प्रतिमा को लगाया गया है. राजा कर्ण की प्रतिमा के हाथों में धनुष है, उनके पास तीर कमान है और नीचे उनके रथ का पहिया है. जो राजा कर्ण के आखिरी बार दान देने के लिए प्रकट किए झरने को दर्शाता है. ऐसे में राजा कर्ण के सम्मान इस जगह का नाम करनाल पड़ा.