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कुरुक्षेत्र युद्ध - कौरवों और पाण्डवों के मध्य कुरु साम्राज्य के सिंहासन की प्राप्ति के लिए लड़ा गया था। महाभारत के अनुसार इस युद्ध में भारतवर्ष के प्रायः सभी जनपदों ने भाग लिया था। महाभारत व अन्य वैदिक साहित्यों के अनुसार यह प्राचीन भारत में वैदिक काल के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था। [1] इस युद्ध में लाखों क्षत्रिय योद्धा मारे गये जिसके परिणामस्वरूप वैदिक संस्कृति तथा सभ्यता का पतन हो गया था। इस युद्ध में सम्पूर्ण भारतवर्ष के राजाओं के अतिरिक्त बहुत से अन्य देशों के यादव [उद्धरण चाहिए] वीरों ने भी भाग लिया और सब के सब वीर गति को प्राप्त हो गये। [2] इस युद्ध के परिणामस्वरुप भारत में ज्ञान और विज्ञान दोनों के साथ-साथ वीर क्षत्रियों का अभाव हो गया। एक तरह से वैदिक संस्कृति और सभ्यता जो विकास के चरम पर थी उसका एकाएक विनाश हो गया। प्राचीन भारत की स्वर्णिम वैदिक सभ्यता इस युद्ध की समाप्ति के साथ ही समाप्त हो गयी। इस महान युद्ध का उस समय के महान ऋषि और दार्शनिक भगवान वेदव्यास ने अपने महाकाव्य महाभारत में वर्णन किया, जिसे सहस्राब्दियों तक सम्पूर्ण भारतवर्ष में गाकर एवं सुनकर याद रखा गया। 3- योद्धा पाण्डवों के सेनापति धृष्टद्युम्न कौरवों के सेनापति भीष्म सेनानायक धृष्टद्युम्न † भीष्म †,द्रोण †,कर्ण †, शल्य †,अश्वत्थामा शक्ति/क्षमता 7 अक्षौहिणी १५,३०,९०० सैनिक 11 अक्षौहिणी २४,०५,७०० सैनिक मृत्यु एवं हानि सभी योद्धाओ में से केवल 8 ज्ञात वीर ही बचे-पाँचों पाण्डव, कृष्ण, सात्यकि, युयुत्सु सभी योद्धाओ में से केवल ३ ज्ञात वीर ही शेष -अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा युद्ध की ऐतिहासिकता विद्वानों की चर्चा का विषय बनी हुई है।[4][5][6] ऋग्वेद में उल्लिखित दस राजाओं की लड़ाई ने कुरुक्षेत्र युद्ध की कहानी का मूल आधार बनाया हो सकता है। महाभारत के वृत्तांत में युद्ध का बहुत विस्तार और संशोधन किया गया था, जो इसे संदिग्ध बनाता है।[7] कुरुक्षेत्र युद्ध को एक ऐतिहासिक तिथि प्रदान करने का प्रयास किया गया है, जिसमें अनुसंधान का सुझाव दिया गया है। 1000 ई.पू.[5] हालांकि, लोकप्रिय परंपरा का दावा है कि युद्ध कलियुग में संक्रमण को चिह्नित करता है, जो इसे 3102 ईसा पूर्व से डेटिंग करता है।[8] महाभारत में मुख्यतः चंद्रवंशियों[उद्धरण चाहिए] के दो परिवार कौरव और पाण्डव के बीच हुए युद्ध का वृत्तांत है। १०० कौरवों और पाँच पाण्डवों के बीच कुरु साम्राज्य की भूमि के लिए जो संघर्ष चला उससे अंतत: महाभारत युद्ध का सृजन हुआ। उक्त युद्ध को हरियाणा में स्थित कुरुक्षेत्र के आसपास हुआ माना जाता है। इस युद्ध में पाण्डव विजयी हुए थे। [1] महाभारत में इस युद्ध को धर्मयुद्ध कहा गया है, क्योंकि यह सत्य और न्याय के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध था। [2] महाभारत काल से जुड़े कई अवशेष दिल्ली में पुराना किला में मिले हैं। पुराना किला को पाण्डवों का किला भी कहा जाता है।[9] कुरुक्षेत्र में भी भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा महाभारत काल के बाण और भाले प्राप्त हुए हैं।[10] गुजरात के पश्चिमी तट पर समुद्र में डूबे ७०००-३५०० वर्ष पुराने शहर खोजे गये हैं[11], जिनको महाभारत में वर्णित द्वारका के सन्दर्भों से जोड़ा गया[12], इसके अलावा बरनावा में भी लाक्षागृह के अवशेष मिले हैं[13], ये सभी प्रमाण महाभारत की वास्तविकता को सिद्ध करते हैं। #kurukshetra #bhawatgeeta #srikrishna #trending #chakrvyu #bhgwatgeetasaar #Santanayatrisumit #kurukshetrayuddam #trijuginarayan