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Panch Kedar History | Kedarnath Dham | Tungnath | Madhyamaheshwar | Rudranath | Kalpeshwar | Shiva Temples | Shiv Stories in Hindi | Mythological Stories | Mahabharat Panch Pandav | Dev Katha | Mahadev | Lord Krishna | Bhagwan Shiv ki Katha महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। युधिष्ठिर अपने चार भाइयों के साथ श्रीकृष्ण से मिलने गए। युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से कहा हमने अपने ही भाइयों की हत्या की है। हम सभी को इसी बात का खेद है। अर्जुन बोला हे माधव अब आप ही कोई उपाय बताइये, हम इस भ्रातूहत्या के पाप से मुक्ति कैसे पाएं?” श्रीकृष्ण ने कहा आपको इसके लिए महादेव के पास जाना होगा। एक महादेव ही आपको भ्रातूहत्या के पाप से मुक्ति दिला सकते हे. पांचों पांडव काशी जाने के लिए निकल पड़ते हे। काशी पुहचने के बाद भी उन्हें वहा शिवजी नहीं मिले। पााँचों भाई बेहत निराश हो गए। पााँचों भाई अब शिवजी के दर्शन के लिए केदारक्ष्रेत्र की ओर प्रस्थान करते हे. शिवजी पांडवों को देखते है और उन्हें देखते ही वे क्रोधित हो जाते है पर शिवजी उन्हे दर्शन देना नहीं चाहते और वो बैल का रूप धरण कर लेते हे। पर भीम शिवजी को पहचान लेते हे. अब शिवजी बैल रूप में ही वहा धरतिमें अंतधायर्न होने लगे। भीम ने तरुंत ही बल से बैल की पीठ का त्रिकोणात्मक भाग पकड लिया. शिवजी अपने वास्तविक रूप में आ जाते हे और भ्रातूहत्या के पाप से मुक्त करते हे. श्रीकृष्ण वहा प्रगट होते है और महादेव को कहते हे जब आप भूमि मे अंतधायर्न हो रहे थे तब आपके पीठ का भाग यही पे स्ठ्पित हो गया, इसलए युगों युगों तक आप यहा केदारनाथ के रूप में पूजे जाएंगे। आपके धड़ के ऊपर का भाग काठमाडु में प्रगट हुआ है, इसलए आप वहा पशुपतिनाथ के रूप में पूजे जाएंगे। इसी तरह आपकी भुजाए जहा प्रगट हुई वहा आप को तुंगनाथ के रूप में, जहा आपका मुख प्रगट हुआ रुद्रनाथ के रूप में, जहा आपकी जटा प्रगट हुई वहा कलपेश्वर के रूप में और नाभि प्रगट हुई वहा आप मदमहेश्वर के रूप में पूजे जाएंगे. इस वजह से आज भी इन चार स्थानो के सहित श्री केदारनाथ को ‘पंच केदार’ भी कहा जाता है. For More Videos Subscribe Dev Katha Channel : https://bit.ly/3wr12K1 #DevKatha #ShivKatha #MythologicalStories