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🔷 श्री स्वामी पूर्णानंद परमहंस जी (1834-1928) की जीवनी 🔷 लामा बाज़ार में मिला सिद्धाश्रम जाने का रास्ता श्री स्वामी पूर्णानंद परमहंस जी एक महान योगी और अजपा योग के प्रचारक थे। उनका जन्म बंगाल के फ़रीदपुर जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे नेपाल और तिब्बत के कठिन मार्गों से होते हुए हिमालय स्थित गुप्त सिद्धाश्रम पहुँचे, जहाँ उन्होंने ब्रह्मर्षि अंगिरा से दीक्षा ग्रहण की और गहन साधना की। सिद्धाश्रम से लौटकर उन्होंने भारतभर में अजपा योग का प्रचार किया और अनेक शिष्यों को आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। उन्होंने बंगाल, असम और नेपाल में कई आश्रम स्थापित किए। समाज सुधार और मानव सेवा के प्रति उनका योगदान अविस्मरणीय है। 1928 में वे महासमाधि में लीन हो गए, लेकिन उनकी आध्यात्मिक परंपरा आज भी जीवित है। ✅Siddh Sant Book : https://www.amazon.in/shop/siddhsanto... ✅ Telegram Page: https://t.me/amsugyan (Pdf is here) 📖 ज्ञानयज्ञ में आपका आमंत्रण 📖 सिद्ध संतों की वाणी अमृत समान है, जो आत्मा को सत्य, शांति और ईश्वर के सान्निध्य की ओर ले जाती है। यदि आप इस दिव्य प्रयास में सहभागी बनना चाहते हैं, तो अपने सहयोग से इसे और अधिक विस्तारित करने में सहायता करें। आपका यह योगदान केवल सहायता नहीं, बल्कि धर्म सेवा है, जिससे यह अमूल्य ज्ञान अधिक से अधिक आत्माओं तक पहुँच सके। 🚩 "सत्संग, सेवा और सहयोग से ही ज्ञान का दीप प्रज्वलित रहता है।" 🚩 संपर्क करें: 📲 WhatsApp : +91 8235434101 🔗 https://wa.me/message/TLEFDTH3HEN3P1 (click to message) Source : इसमें प्रयुक्त जानकारियाँ विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों से ली गई हैं, जिनमें स्वामी पूर्णानंद परमहंस जी के जीवन चरित पर उपलब्ध प्रकाशन एवं अजपा योग संस्थानों द्वारा प्रकाशित सामग्री शामिल हैं। प्रमुख संदर्भों में 1834-1928 के कालखंड में बंगाल एवं हिमालय क्षेत्र से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों के साथ-साथ अध्यात्म जगत में प्रचलित कथाएँ और दस्तावेज़ सम्मिलित हैं। ये प्रमाणित विवरण स्वामी पूर्णानंद परमहंस जी के अद्वितीय जीवन और उनके आध्यात्मिक योगदान को समझने में सहायक हैं। #स्वामीपूर्णानंद #अजपायोग #सिद्धाश्रम #HimalayanYogi #gyanganjyogi #matangashram #ajapajap #ajapa #SWAMIPURNANANDPARAMHANS