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भगवद गीता श्लोक 33 | जब अपने ही प्राणों की बाज़ी पर हों | Bhagwat Gita shlok saar |Mahabharat Description (विवरण): भगवद गीता के अध्याय 1 का श्लोक 33 अर्जुन के गहरे मानसिक और भावनात्मक द्वंद्व को दर्शाता है। अर्जुन कहते हैं कि जिन प्रियजनों, गुरुजनों और संबंधियों के लिए वे राज्य, सुख और भोग चाहते थे, वही आज युद्धभूमि में अपने प्राणों और धन को त्यागने के लिए खड़े हैं। ऐसे में अर्जुन को राज्य, विजय और सांसारिक सुख निरर्थक प्रतीत होने लगते हैं। यह श्लोक मोह, करुणा और वैराग्य के भावों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रकट करता है। --- Tags (टैग्स): Bhagavad Gita Bhagwad Geeta Shlok 33 गीता अध्याय 1 अर्जुन का विषाद महाभारत कुरुक्षेत्र युद्ध श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद धर्म और कर्तव्य मोह और वैराग्य गीता उपदेश Spiritual Wisdom Indian Philosophy Sanatan Dharma