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द्वारिकानाथ की आज्ञा से कुलकरनी गणपत कदम से मिलने के लिए जाता है तो रस्ते में साई उसे मिलते हैं और साई उसे शिरडी से बाहर जाने के लिए मना करते हैं लेकिन कुलकरनी नहीं मानता और चला जाता है। द्वारिकानाथ साई को दस हज़ार रुपए की दक्षिणा देने की बात करते हैं और उसके बदले में शिरडी को छोड़ने के लिए कहते हैं। साई बाबा द्वारिकानाथ की मूर्खता पर हंसते हैं और चले जाते हैं। कुलकरनी और गणपत कदम को साथ लेकर शिरडी आ रहा था तो उन्हें वापस से डाकू रोक लेते हैं लेकिन उन्हें जब कुछ नहीं मिलता तो वो भाग जाते हैं। द्वारिकानाथ कुलकरनी दोनों अपने साथ गणपत को लेकर आते हैं और साई को पैसे देने की बात करते हैं ताकि वो पैसे लेकर शिरडी छोड़ सके। साई के पास तरकारी के थैले में छुपा कर लाए पैसे थाले से ग़ायब हो जाते हैं। गणपत कदम को साई बाबा के चमत्कार से ह्रदय परिवर्तित हो जाता है वह साई के पास वापस आता है और उनसे आशीर्वाद लेता है। साई गणपत को सच्चाई और धर्म के रस्ते पर चलने की शिक्षा देते हैं और उसका उद्धार करते हैं। द्वारिकानाथ को बहुत क्रोध आता है लेकिन वो कुछ कर नहीं पता। गोपाल और शकुंतला को साई पर बहुत विश्वास था। शकुंतला बीमार रहती थी और उसके ससुराल वालों को शकुंतला के ठीक होने के कोई उम्मीद नहीं थी उन्हें सिर्फ़ पैसे का लालच था। साई ये सब सुनकर क्रोधित हो जाते हैं और उनके लालच पर अपना दुःख प्रकट करते हैं। साई को क्रोध में देख उनके भक्त चिंतित होते हैं। गोपाल ने साई बाबा की ऊदी गोंडाजी के हाथों मँगवायी थी लेकिन वो साई से नफ़रत करता था और इसीलिए वो साई की ऊदी नहीं लाया। वह गोपाल को साई की ऊदी की जगह मिट्टी दे देता है। गोपाल मिट्टी को साई की ऊदी समझ कर पिला देता है और साई के चमत्कार से वह मिट्टी भी पीने से शकुंतला ठीक हो जाती है। यह देख कर उसके ससुराल वाले हैरान हो हो जाते हैं। शकुंतला और उसका पति गोपाल साई की आरती करते हैं जिसे गोंडाजी उन्हें देखते हैं वो उन्हें आरती करने से रोक देता है। साई शकुंतला पर हो रहे अत्याचार को देख कर दुःखी होते हैं। साईं बाबा को खरीदना की कोशिश और साईं भक्त शकुंतला की कहानी | Best of Saibaba Stories