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卐 श्री शिव सहस्रनाम स्तोत्रम् 卐 हरीश्वर लिङ्ग की महिमा जिसके पूजन फलस्वरूप भगवान् विष्णु ने सदाशिव की आराधना से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। बैकुण्ठ चतुर्दशी के रूप में वर्णित है। ॥ श्रीशिवस्तुतिः॥ वन्दे देवम् उमापतिम् सुरगुरुम् वन्दे जगत्कारणम् वन्दे पन्नग भूषणम् मृगधरम् वन्दे पशूनांम् पतिम् । वन्दे सूर्यशशाङ्क वह्निनयनं वन्दे मुकुन्दप्रियंम् वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवं शंकरम् ॥ १॥ ॥ श्री सांब सदाशिव अर्पणमस्तु ॥ ॥ इति श्री शिव सहस्त्रनाम स्तोत्रम सम्पूर्णम् ॥ ॐ नम: शिवाय॥ ॥ आरती ॥ ॐ महादेव शिव: शंकर शम्भो उमाकांत हर त्रिपुरारे। मृत्युंजय वृषभद्वज शूलिनं गंगाधर मृड मदनारे। हर शिव शंकर गौरीशं वन्दे गंगाधर्मिशं। रूद्रम् पशुपति-मिशानम् कलए काशीपुरीनाथं। जय शम्भो जय जय शम्भो शिव गौरी शंकर जय शम्भो।