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रणथम्भौर का दुर्ग भारत के सबसे मजबूत दुर्गों में से एक है। जिसने शाकम्भरी के चाहमान साम्राज्य को शक्ति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह माना जाता है कि इस दुर्ग का निर्माण महाराजा जयंत ने पांचवीं सदी में कराया था। बारहवीं सदी में यहां पृथ्वीराज चौहान के आने तक इस दुर्ग पर यादव शासकों का कब्जा रहा। 1282 से 1301 तक यहां हम्मीरदेव का शासन रहा। हम्मीरदेव रणथम्भौर के सबसे शक्तिशाली राजा साबित हुए। उन्होंने अपने राज में कला और साहित्य को प्रश्रय दिया। 1301 में दुर्ग पर दिल्ली मुगल सम्राट अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर दिया। हम्मीर ने बहुत बहादुरी से खिलजी का सामना किया लेकिन वे दुर्ग नहीं बचा पाए। इसके बाद दुर्ग मुगल सुल्तानों के कब्जे में रहा। मुगलों के कब्जे से राणा सांगा ने इस छीन लिया। उन्होंने 1509 से 1527 तक रणथम्भौर पर राज किया। इसके बाद एक बार फिर यह दुर्ग मुगलों के कब्जे में चला गया। यह दुर्ग रणथम्भौर नेशनल सेंचुरी बाघ परियोजना के किनारे स्थित है। चारों ओर से विशाल रक्षा प्राचीरों से घिरे इस दुर्ग में सात विशाल दरवाजे हैं। ये दरवाजे हैं-नवलखा पोल, हथिया पोल, गणेश पोल, अंधेरी पोल, सतपोल, सूरज पोल और दिल्ली पोल। दुर्ग में कई स्मारक भी हैं। इनमें हम्मीर महल, बड़ी कचहरी, छोटी कचहरी, बादल महल, बत्तीस खंभों की छतरी, झंवरा-भंवरा अन्न भंडार आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा यहां का गणेश मंदिर स्थानीय पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां स्थित दरगाह और जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं। रणथम्भौर दुर्ग को झीलों और तालाबों का दुर्ग भी कहा जा सकता है। दुर्ग के आसपास और भीतर तीन प्रमुख झीलें हैं। ये झीलें पद्म तालाब, मलिक तालाब और राजाबाग झील हैं। दुर्ग की प्राचीरों से इन सुंदर झीलों का दर्शन किया जा सकता है। इसके अलावा इस विशाल क्षेत्र में फैले दुर्ग से अभ्यारण्य का नयनाभिराम दृश्य देखा जा सकता है। सेंचुरी के अंदर स्थित तालाब यहां से साफ देखा सकता है और अभ्यारण्य के जीवों को यहां क्रीड़ाएं करते, शिकार खेलते भी देखा जा सकता है। इस सर्वश्रेष्ठ वनदुर्ग के चारों ओर सघन जंगल इसे सबसे सुरक्षित किला करार देते हैं। लेकिन फिर भी इस दुर्ग का इतिहास कई संघर्षों से भरा पड़ा है। sawai madhopur,राजस्थान के प्रमुख दुर्ग,राजस्थान के प्रमुख किले,forts of rajasthan,rajasthan gk forts,the history of rajasthan,रणथम्भौर,रणथम्भौर का किला,रणथम्भौर के चौहान,रणथम्भौर अभयारण्य,रणथम्भौर का इतिहास,रणथम्भौर गणेश मंदिर,रणथम्भौर के चौहान वंश,रणथम्भौर की यात्रा,रणथम्भौर का हम्मीर चौहान