У нас вы можете посмотреть бесплатно economic reform in India आर्थिक सुधार 1991 или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
9.25 MB
15.79 MB
22.65 MB
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
#ECONOMICFORUPSC economic reform in India आर्थिक सुधार 1991, Vishnueconomicsschool #NTANETECONOMICS Website www.vishnueconomicsschool.in Download my app Vishnu ECONOMICS SCHOOL from playlist or link is given below https://play.google.com/store/apps/de... TELEGRAM; - https://t.me/Vishnueconomicsschool FACEBOOK PAGE https://www.facebook.com/Vishnu-Econo... INSTAGRAM / vishnuecoschool Our channel for commerce students VE Academy of Commerce / @mahavidyaignoueconomics DEMO ENGLISH MEDIUM • MICROECONOMICS HINDI MEDIUM • Playlist We cover 1. UPSC MAIN ECONOMICS OPTIONAL 2. NTA - NET ECONOMICS 3. INDIAN ECONOMIC SERVICES 4. RBI EXAM 5 NABARD EXAM 6. DSSSB PGT ECONOMICS 7 KVS/ NVS PGT ECONOMICS 8.PGT ECONOMICS FOR OTHER STATE 9 LECTURER UPHESB 10 IGNOU MA ECONOMICS 11 Delhi UNIVERSITY B.A, B.COM, ECO H, GE, ECO H 12 MDU UNIVERSITIES 13 MA ECO, M.COM, ECO H, BBE, BBA, MBA, 14 . CBES BORAD FOR 11 AND 12 15 NIOS FOR CLASS 12 16. ICSE CLASS 12 17 XI , XII FOR DIFFERENT STATE BOARD ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे। औपनिवेशिक युग ( 1773–1947 ) के दौरान अंग्रेज भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्विमार्गी ह्रास bahut jyada होता था। इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ईस्वी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया। 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी। 1950 में जब भारत ने 3.5 फीसदी की विकास दर हासिल कर ली थी तो कई अर्थशास्त्रियों ने इसे ब्रिटिश राज के अंतिम 50 सालों की विकास दर से तिगुना हो जाने का जश्न मनाया था। समाजवादियों ने इसे भारत की आर्थिक नीतियों की जीत करार दिया था, वे नीतियां जो अंतर्मुखी थीं और सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के वर्चस्व वाली थीं। हालांकि 1960 के दशक में ईस्ट इंडियन टाइगरों (दक्षिण कोरिया, ताईवान, सिंगापुर और हांगकांग) ने भारत से दोगुनी विकास दर हासिल कर ली थी। जो इस बात का प्रमाण था कि उनकी बाह्यमुखी और निजी क्षेत्र को प्राथमिकता देने वाली आर्थिक नीतियां बेहतर थीं। ऐसे में भारत के पास 80 के दशक की बजाय एक दशक पहले 1971 में ही आर्थिक सुधारों को अपनाने के लिए एक अच्छा उदाहरण मिल चुका था। भारत में 1980 तक जीएनपी की विकास दर कम थी, लेकिन 1981 में आर्थिक सुधारों के शुरू होने के साथ ही इसने गति पकड़ ली थी। 1991 में सुधार पूरी तरह से लागू होने के बाद तो यह मजबूत हो गई थी। 1950 से 1980 के तीन दशकों में जीएनपी की विकास दर केवल 1.49 फीसदी थी। इस कालखंड में सरकारी नीतियों का आधार समाजवाद था। आयकर की दर में 97.75 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गयी। कई उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। सरकार ने अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह से नियंत्रण के प्रयास और अधिक तेज कर दिए थे। 1980 के दशक में हल्के से आर्थिक उदारवाद ने प्रति व्यक्ति जीएनपी की विकास दर को बढ़ाकर प्रतिवर्ष 2.89 कर दिया। 1990 के दशक में अच्छे-खासे आर्थिक उदारवाद के बाद तो प्रति व्यक्ति जीएनपी बढ़कर 4.19 फीसदी तक पहुंच गई। 2001 में यह 6.78 फीसदी तक पहुंच गई। 1991 में भारत सरकार ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्तुत किए जो इस दृष्टि से वृहद प्रयास थे कि इनमें विदेश व्यापार उदारीकरण, वित्तीय उदारीकरण, कर सुधार और विदेशी निवेश के प्रति आग्रह शामिल था। इन उपायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद की। तब से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत आगे निकल आई है। सकल स्वदेशी उत्पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्टर लागत पर) जो 1951–91 के दौरान 4.34 प्रतिशत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रतिशत के रूप में बढ़ गयी। २०१५ में भारतीय अर्थव्यवस्था २ ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से आगे निकल गयी।