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#pastlife #hypnosis #antaryatra #antaryatrabynishant Contact on WhatsApp 73795 21176 Join Telegram group @Antaryatraa नमस्ते दोस्तों! आज मैं आपको एक ऐसी अनोखी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो आपको कल्पना के एक नए आयाम में ले जाएगी। यह कहानी है पूर्व जीवन प्रतिगमन (Past Life Regression - PLR) के एक ऐसे मामले की, जिसमें एक व्यक्ति ने सिर्फ पृथ्वी पर ही नहीं, बल्कि किसी और ही लोक में अपना पिछला जीवन देखा। कहानी शुरू होती है एक आध्यात्मिक व्यक्ति से, जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वह यह समझना चाहता था कि उसकी यह गहरी भक्ति क्या किसी पिछले जन्म से जुड़ी है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए उसने PLR सेशन करवाया। जब वह व्यक्ति PLR में गया, तो उसने खुद को किन्नर लोक नाम के एक अलग ही आयाम में पाया। यह किन्नर लोक पृथ्वी से बहुत अलग था, इसके अपने अनोखे नियम थे। वह बताता है कि वह एक शानदार महल में था, जहाँ की फर्श चमकीले, रंगीन संगमरमर के बने थे, बड़े-बड़े झूमर लटक रहे थे और सुंदर पर्दे लगे हुए थे। महल के बाहर का वातावरण तो और भी अद्भुत था – हरे-भरे पेड़, नदियाँ और झरने... और वहाँ का प्रकाश तो पृथ्वी से कहीं ज़्यादा तीव्र था! किन्नर लोक के लोग भी बड़े निराले थे। वे उड़ सकते थे और जो चीज़ चाहते, उसे बस सोचने भर से प्रकट कर सकते थे। सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि वहाँ न तो कोई जन्म लेता था, न कोई मरता था, और न ही कोई निश्चित लिंग था; लोग अपनी इच्छा से अपना रूप बदल सकते थे। उस व्यक्ति का नाम वहाँ रतन दास था, और वह एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति था जो धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ करता था। उसने वहाँ के मंत्री से बात की और यह भी जाना कि उनके राजा का नाम उग्रसेन था। लेकिन दोस्तों, हर कहानी में एक मोड़ आता है। रतन दास का किन्नर लोक से पतन, यानी पृथ्वी पर आने का कारण था अहंकार और गुस्सा। हालाँकि वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था, फिर भी उसे उन लोगों पर गुस्सा आता था जो उसका सम्मान नहीं करते थे। एक बार गुस्से में आकर उसने कुछ लोगों के गहने एक खाई में फेंक दिए। अहंकार और दुर्भावना के इसी कृत्य के कारण उसे उस उच्च आयाम से नीचे, पृथ्वी पर आना पड़ा। इस PLR सेशन में सिर्फ रतन दास की ही कहानी सामने नहीं आई, बल्कि कुछ और भी चौंकाने वाले खुलासे हुए। कथावाचक (जो इस कहानी को हमें सुना रहे हैं, यानी निशांत जी) भी किन्नर लोक में मौजूद थे। वे वहाँ एक लेखक थे, जिनके लेखों से विवाद उत्पन्न हुआ और क्रोध के कारण उन्हें भी पतन का सामना करना पड़ा। एक और आध्यात्मिक अभ्यासी, जो उनके वर्तमान जीवन में हैं, उन्हें भी किन्नर लोक में देखा गया। उन्होंने भी गुस्से में आकर विनाश किया था, जिसके कारण उन्हें भी पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा। सेशन के आखिर में, एक आत्मा मार्गदर्शक ने संदेश दिया कि उन्हें अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं को फिर से शुरू करना चाहिए, अहंकार और क्रोध पर काबू पाना चाहिए और अपने ज्ञान से दूसरों की सेवा करनी चाहिए। निशांत जी ने बताया कि यह PLR उनके लिए भी बहुत आश्चर्यजनक था, क्योंकि यह पहली बार था जब किसी ने पृथ्वी के बाहर के जीवन का अनुभव किया था। उन्होंने यह भी बताया कि "जीवात्मा जगत के नियम" और "एक योगी की आत्मकथा" जैसी किताबों में भी ऐसे बहु-आयामी लोकों का वर्णन मिलता है। तो दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि अहंकार और क्रोध कितनी भी ऊँची अवस्था से हमें नीचे गिरा सकते हैं, और यह भी कि हमारा आध्यात्मिक सफर सिर्फ एक जीवन या एक आयाम तक सीमित नहीं है।