У нас вы можете посмотреть бесплатно त्रिपुरा सुंदरी माता बांसवाड़ा || Tripura Sundari || Tripura Sundari Mandir || Marudhara journey или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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@VILLAGEINSIGHT #villageinsight #madhyapradesh #madhyapradeshtourism #travel #mptourisum #indore #bhopal PLEASE LIKE SHARE & SUBSCRIBE YOUTUBE : / villageinsight INSTAGRAM : http://instagram.com/villageinsight?u... Watch another : • Udayagiri Caves | Udaigiri Caves, Vidisha ... त्रिपुरा सुंदरी माता का ये मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है | जो बांसवाड़ा जिले से करीब 20 किलोमीटर दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वतामाला के बीच के बीच स्थित है| माता को पहले तरताई माता के नाम से जाना जाता था| सन् 1982 में मंदिर परिसर के आस पास की गाई खुदाई में शिव पार्वती की प्रतिमा के साथ 11 स्वंभू शिवलिंग प्राप्त हुए| तभी से इस मंदिर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है प्राचीन इतिहास: इस मंदिर के निर्माण की जानकारी यहां मिले शिला लेख से प्राप्त होती है यह शिलालेख विक्रम संवत 1540 का है| इस मंदिर का निर्माण कनिष्क के शासन से पहले का है| शिलालेख के अनुसर मंदिर का निर्माण हजारो साल पुराना बताया जाता है | त्रिपुर सुंदरी माता को तत्काल फल देने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर को त्रिपुरा सुंदरी मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर परिसर के आस-पास गडपोली नमक महासागर हुआ करता था| मंदिर के आस-पास किसी समय में 3 पुरिया या शहर हुआ करती थी जिनके नाम शिवपुरी, विष्णुपुरी और सीतापुरी थे| ऐसी मान्यता है कि, त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में माता का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है, माता के ये तीन स्वरूप, सुबह के समय बालिका रूप में दिन में युवा रूप और रात में वृद्धावस्था स्वरूप के दर्शन होते हैं| माता के त्रिपुरा सुंदरी नाम का एक कारण माता के इन तीनो चरणों को भी बताया जाता है| जिसके कारण माता को त्रिपुरा सुंदरी कहा जाता है प्राचीन समय में मारवाड़, मालवा और गुजरात के राजपरिवार माता के भक्त रहे हैं| माँ त्रिपुरा सुंदरी, गुजरात के सोलंकी क्षत्रिय शाशको की कुलदेवी रही हैं, गुजरात के सोलंकी क्षत्रिय शाशक महाराज जयसिंह किसी भी युद्ध में जाने से पहले मां का आशीर्वाद लेने के लिए माता के इस मंदिर में आते थे, उसके बाद ही युद्ध में जाते थे| वर्तमान इतिहास: वर्त्तमान मंदिर का निर्माण पंचाल समाज के द्वारा करवाया गया है। लोक मान्यता के अनुसर पाताभाई लोहार यहीं पास ही एक लोहे की खदान में काम करते थे, माता त्रिपुरा सुंदरी ने एक दिन स्वप्न में एक साध्वी के रूप में उन्हें दर्शन दिए और उनसे भिक्षा मांगी , लेकिन पाताभाई ने माता को भिक्षा देने से मना कर दिया मना करने के बाद मां रूठ गई और पाताभाई जिस खदान में काम करते थे वो खदान ढह गई, फिर पाताभाई को समझ आया कि ये माता का चमत्कार है मंदिर में स्थापित माता की प्रतिमा पाताभाई लोहार के भाई चांदाभाई लोहार को ये प्रतिमा प्राप्त हुई थी | जिसके बाद उन्हें 1157 में इस मंदिर का निर्माण करवाया| विक्रम संवत सन 1930 में मंदिर के शिखर निर्माण का कार्य किया गया| विक्रम संवत सन 1991 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया| जिसके बाद 1977 में मंदिर का वर्तमान जीर्णोद्धार करवाया गया| सन 1981 में यहाँ 109 महायज्ञ किये गये सन 2006 में यहां स्वर्ण स्तंभ स्थापित किया गया जिसे कीर्ति स्तंभ कहा जाता है| सन 2006-07 में मंदिर के बाहरी परिसर का निर्माण किया गया इस मंदिर के वर्तमान शिखर निर्माण के बारे में मैं दी गाई जानकरी बहुत ही रोचक है, इस मंदिर के शिखर का निर्माण कार्य 2011 में शुरू हुआ जोकी 2017 में पूर्ण हुआ| व्रतमान समय का ये पहला ऐसा मंदिर है जिसके शिखर की हर शिला का हवनात्मक पूजन किया गया है मंदिर के शिखर में लगे इन शिलाओ का यज्ञ विधि द्वार पूजन किया गया है| सभी शिलाओ का पूजन सं 2011 से 2016 तक चला | मंदिर का शिखर प्रतिष्ठा समारोह 7 से 12 मई 2017 तक चला था| वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन कार्य भी पांचाल समाज द्वारा ही किया जाता है| इस मंदिर में बड़े राजनेता माता के दर्शन के लिए यहीं आते हैं| माता प्रतिमा: माता त्रिपुरा सुंदरी यन्हा पर मां ललिता स्वरूप में विराजमान हैं| माता की प्रतिमा के पीछे 42 भैरव और 64 योगिनियों की प्रतिमा बनी हुई है| माता के गर्भग्रह के द्वार चांदी के बने हुए हैं| माता की प्रतिमा लगभाग 5 फीट ऊंची है| यन्हा माता के नवदुर्गा स्वरूप के दर्शन देते हैं। यन्हा स्थापित माता की प्रतिमा की 18 भुजाए हैं| माता के चरणों में संगेमरमार का श्रीयंत्र भी बना हुआ है| दर्शन समय: त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है| लेकिन माता के दर्शन सुबह 6 बजे गर्मी में और सुबह 6.30 बजे सर्दी के मौसम में होते हैं माता की मंगला आरती गर्मी में सुबह 7 बजे और सर्दीयों के मौसम में सुबह 7:30 बजे होती है माता को दोपहर 12 बजे भोग लगाया जाता है| मंदिर 1 बजे से 2:30 बजे तक माता के विश्राम के लिए बंद रहता है| दोपहर 2:30 बजे बाद मंदिर के दर्शन के लिए वापस खोल दिया जाता है| मंदिर में संध्या आरती का समय गर्मीयों में शाम को 7 बजे और सर्दियों में शाम को 6:30 बजे है| मंदिर बंद होने का समय गर्मी में रात 9 बजे और सर्दी में रात 8:30 बजे है। आप सिर्फ 40 रुपये का शुल्क देके पांचाल धर्मशाला में भोजन खरीद सकते हैं| #villageinsight #villageInsight #village_insight #villageinsightvlog #village_insight_vlog #villageInsightVlog #त्रिपुरासुंदरीमाताबांसवाड़ा #त्रिपुरासुंदरीमाताबांसवाड़ा #त्रिपुरासुंदरी #त्रिपुरासुंदरीमाताजी #tripurasundarimandir #tripurasundarimandirbanswararajasthan #tripurasundari #tripurasundaritemple #besttouristplacesinrajasthan #rajasthantourist #rajasthanvlogger #rajasthantourism #vloggerinrajasthan #mandirrajasthan #rajsthan #youtube #longvideo #youtubevideo #video #videos