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उत्तराखण्ड की संस्कृति इस प्रदेश के मौसम और जलवायु के अनुरूप ही है। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और इसलिए यहाँ ठण्ड बहुत होती है। इसी ठण्डी जलवायु के आसपास ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सभी पहलू जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएँ इत्यादि घूमते हैं। उत्तराखंड का रहन-सहन: ( 1:10 ) उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है। यहाँ ठण्ड बहुत होती है इसलिए यहाँ लोगों के मकान पक्के होते हैं। दीवारें पत्थरों की होती है। पुराने घरों के ऊपर से पत्थर बिछाए जाते हैं। वर्तमान में लोग सीमेन्ट का उपयोग करने लग गए है। अधिकतर घरों में रात को रोटी तथा दिन में भात (चावल) खाने का प्रचलन है। लगभग हर महीने कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। त्योहार के बहाने अधिकतर घरों में समय-समय पर पकवान बनते हैं। स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली गहत, रैंस, भट्ट आदि दालों का प्रयोग होता है। प्राचीन समय में मण्डुवा व झुंगोरा स्थानीय मोटा अनाज होता था। अब इनका उत्पादन बहुत कम होता है। अब लोग बाजार से गेहूं व चावल खरीदते हैं। कृषि के साथ पशुपालन लगभग सभी घरों में होता है। घर में उत्पादित अनाज कुछ ही महीनों के लिए पर्याप्त होता है। कस्बों के समीप के लोग दूध का व्यवसाय भी करते हैं। पहाड़ के लोग बहुत परिश्रमी होते है। पहाड़ों को काट-काटकर सीढ़ीदार खेत बनाने का काम इनके परिश्रम को प्रदर्शित भी करता है। पहाड़ में अधिकतर श्रमिक भी पढ़े-लिखे है, चाहे कम ही पढ़े हों। इस कारण इस राज्य की साक्षरता दर भी राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। उत्तराखंड की वेशभूषा: ( 1:29 ) पारम्परिक रूप से उत्तराखण्ड की महिलाएं घाघरा तथा आंगड़ी, तथा पूरूष चूड़ीदार पजामा व कुर्ता पहनते थे। अब इनका स्थान पेटीकोट, ब्लाउज व साड़ी ने ले लिया है। जाड़ों (सर्दियों) में ऊनी कपड़ों का उपयोग होता है। विवाह आदि शुभ कार्यो के अवसर पर कई क्षेत्रों में अभी भी सनील का घाघरा पहनने की परम्परा है। गले में गलोबन्द, चर्यो, जै माला, नाक में नथ, कानों में कर्णफूल, कुण्डल पहनने की परम्परा है। सिर में शीषफूल, हाथों में सोने या चाँदी के पौंजी तथा पैरों में बिछुए, पायजब, पौंटा पहने जाते हैं। घर परिवार के समारोहों में ही आभूषण पहनने की परम्परा है। विवाहित औरत की पहचान गले में चरेऊ पहनने से होती है। विवाह इत्यादि शुभ अवसरों पर पिछौड़ा पहनने का भी यहाँ चलन आम है। उत्तराखंड की भाषाएँ: ( 1:59 ) मुख्य लेख: कुमाऊँनी भाषा, गढ़वाली भाषा, और हिन्दी भाषा उत्तराखण्ड की मुख्य भाषा हिन्दी है। यहाँ अधिकतर सरकारी कामकाज हिन्दी में होता है। नगरीय क्षेत्रों में हिन्दी बोली जाती है। कुमाऊँ मण्डल के ग्रामीण अंचलों में कुमाऊँनी तथा गढ़वाल मण्डल के ग्रामीण क्षेत्रों में गढ़वाली बोली जाती है। कुमाऊँनी तथा गढ़वाली भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि को प्रयुक्त किया जाता है। गढ़वाल के जौनसार भाभर क्षेत्र में जो भाषा बोली जाती है उसे जौनसारी बोली/भाषा कहा जाता है। उत्तराखंड के त्यौहार: ( 2:38 ) शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में पूरे वर्षभर उत्सव मनाए जाते हैं। भारत के प्रमुख उत्सवों जैसे दीपावली, होली, दशहरा इत्यादि के अतिरिक्त यहाँ के कुछ स्थानीय त्योहार हैं उत्तराखंड के मेले: देवीधुरा मेला (चम्पावत) पूर्णागिरि मेला (चम्पावत) नंदा देवी मेला (अल्मोड़ा) उत्तरायणी मेला (बागेश्वर) गौचर मेला (चमोली) वैशाखी (उत्तरकाशी) माघ मेला (उत्तरकाशी) विशु मेला (जौनसार बावर) गंगा दशहरा (नौला, अल्मोड़ा) नंदा देवी राज जात यात्रा जो हर बारहवें वर्ष होती है ऐतिहासिक सोमनाथ मेला (माँसी, अल्मोड़ा) उत्तराखंड की संक्रान्तियाँं: फूलसंंक्राॅन्ति यानि फूलदेई (कुमांऊँ व गढ़वाल) हरेला (कुमाऊँ) उत्तायणी की संक्रॉन्ति यानि घुघुतिया (कुमांऊँ) घीं संक्रॉन्ति (कुमांऊँ व गढ़वाल) मकरैणी (गढ़वाल) बिखौत (गढ़वाल) उत्तराखंड के लोक नृत्य: ( 3:24 ) गढ़वाल का प्रागैतिहासिक काल से भारतीय संस्कृति में अविस्मरणीय स्थान रहा है। यहां के जनजीवन में किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण भारत के दर्शन सुलभ है। इस स्वस्थ भावना को जानने के लिए यहां के लोक नृत्य पवित्र साधन है। यहां के जनवासी अनेक अवसरों पर विविध प्रकार के लोक नृत्य का आनन्द उठाते हैं। झोड़ा - गढ़वाल व कुमाऊं में प्रसिद्ध है चांचड़ी - प्रमुख नृत्यों में से एक है जो समूह में किया जाता है उत्तराखंड के खानपान: ( 4:17 ) उत्तराखण्डी खानपान का अर्थ राज्य के दोनों मण्डलों, कुमाऊँ और गढ़वाल, के खानपान से है। पारम्परिक उत्तराखण्डी खानपान बहुत पौष्टिक और बनाने में सरल होता है। प्रयुक्त होने वाली सामग्री सुगमता से किसी भी स्थानीय भारतीय किराना दुकान में मिल जाती है। यहाँ के कुछ विशिष्ट खानपान है[2]: आलू टमाटर का झोल चैंसू झोई कापिलू मंडुए की रोटी पीनालू की सब्जी बथुए का परांठा बाल मिठाई सिसौंण का साग गौहोत की दाल ______________________________________ Follow Us on: ❤️🔥Facebook: / uttarakhandkerang ❤️🔥Instagram: / uttarakhandkerang ❤️🔥Youtube: / uttarakhandkerang #uttarakhand #uttarakhandheaven #uttarakhandtourism #uttarakhanddiaries #uttarakhandtraveller #uttarakhandi #uttarakhand_travel_diaries #uttarakhandculture #uttarakhandpictures #incredibleuttarakhand #uttarakhand_sanskriti #uttarakhandkerang Video and Content Source: Uttarakhand Ke Rang and wikipedia Voice Artist: Deepak Singh Rawat