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दोस्तों ये तो आप पहले से ही जानते हैं कि पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है। जिसमे से 1.6 प्रतिशत अंडरग्राउंड वाटर है और 0.001 बादलों के रूप में मौजूद है। वहीं पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी में से 97 प्रतिशत समुद्र और महासागरों में मौजूद है, जो बहुत ही खारा है और पीने के लिए तो बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लेकिन क्या दोस्तो आपके मन में भी ये सवाल आया है की समुद्र का पानी इतना खारा क्यों है? अगर हां, तो आपको इस सवाल का जवाब इस विडियो में मिलने वाला है। दोस्तों स्वागत है आपका हमारे यूट्यूब चैनल हिंदी पैक पर, जहां हम लेकर आते है आपके लिए इंटरेस्टिंग और मजेदार विडियो, और आज का वीडियो भी काफी informative होने वाला है तो वीडियो को आखिर तक जरूर देखें। दोस्तों अगर समुद्र का पानी खारा न होता तो आज हमारे पास पीने के पानी की कोई कमी नहीं होती, लेकिन दुनिया का ज्यादातर पानी खारा होने के कारण हम पानी का कुछ प्रतिशत ही पीने के लिए इस्तेमाल कर पाते हैं। ये बात तो हर कोई जानता है कि समुद्री का पानी बहुत खारा होता है। वहीं ये बात भी सभी जानते हैं कि बारिश, नदियों और यहां तक कि ग्लेशियर का पानी मीठा होता है। इसलिए ये सवाल उठना लाजमी है की समुद्र का पानी खारा क्यों है , जबकि नदियों और बारिश का पानी मीठा है । आप जानते ही होंगे कि नदियों का पानी समुद्र में मिल जाता है और समुद्र में जाकर पानी इवेपोरेट हो जाता है, और फिर ये बादल से vapour बनकर बारिश के रूप में जमीन की सतह पर गिर जाते हैं। दोस्तों जैसे ही बारिश का पानी मिट्टी से होकर गुजरता है और चट्टानों के माध्यम से रिसता है, यह कुछ खनिजों को मिक्स कर देता है, इस प्रक्रिया को हिंदी में अपक्षय और अंग्रेजी में weathering कहा जाता है। यह वहीं पानी है जिसे हम पीते हैं। आखिर, में यह पानी अपने mix हुए मिनरल्स या लवणों यानी नमक के साथ एक धारा तक पहुँच जाता है और झीलों और समुद्र में बह जाता है। दरअसल दोस्तों जब बारिश होती है तो बारिश का पानी हवा में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के संपर्क में आता है, और फिर ये सारी गैस पानी में घुल जाती हैं। इससे बारिश का पानी थोड़ा अम्लीय यानी खारा हो जाता है। और इस तरह ये नमकीन पानी नदियों में भी आता है, लेकिन यह नमक इतना कम है कि हमें नदियों का पानी मीठा लगता है। नदियों का यह लवण पानी समुद्र में पहुँचता है इस तरह करोड़ो सालों से यह प्रक्रिया होती आ रही है। दोस्तों आपको जानकार हैरानी होगी की नदियों द्वारा घुले हुए लवणों (नमक) का वार्षिक योग समुद्र में कुल नमक का केवल एक छोटा अंश है। दुनिया की सभी नदियों द्वारा बहाए गए लवण लगभग 200 से 300 मिलियन वर्षों में समुद्र में नमक के बराबर होंगे। जब नदियों का यह पानी समुद्र में मिल जाता है तो पानी में मौजूद लवण समुद्र में जमा हो जाता है, इसके अलावा समुद्र में चट्टानें भी होती हैं, जिनमे मौजूद नमक समुद्र में नदियों के इस खारे पानी तक पहुंचता है, इस प्रकार यह प्रक्रिया लाखों वर्षों से चलती आ रही है। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दू की समुद्र के भीतर ज्वालामुखी भी मौजूद हैं, जिससे लावा, क्लोरीन, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैस निकलती हैं, समुद्र में सोडियम जैसे पदार्थ भी होते हैं जो क्लोरीन के साथ प्रतिक्रिया करके लवण बनाते हैं। इस प्रकार नदियों से आने वाले नमक और समुद्र में उत्पन्न होने वाले नमक के कारण समुद्र का पानी खारा होता है, लेकिन जब सूरज की गर्मी के कारण समुद्र का पानी evaporate हो जाता है, तो वह vapour बनकर बादल बन जाता है और एवपोरेटेड वाटर ऊपर vapour की फॉर्म में चला जाता है और जब ये पानी बारिश बनकर निकलता है तो ये पानी बिल्कुल शुद्ध होता है। दोस्तों यह शुद्ध जल बादलों का रूप धारण कर लेता है, जो बाद में वर्षा के रूप में जमीन पर गिर जाता है। इस प्रकार समुद्र का शुद्ध जल आकाश में चला जाता है, परन्तु लवण समुद्र में ही रहता है, इस प्रक्रिया के कारण समुद्र का जल लाखों वर्षों तक खारा रहता है। दोस्तों अगर आपके मन में ये सवाल आ रहा है की इस तरह समुद्र का पानी अधिक खारा होता जा रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि समुद्र में कई ऐसी प्रक्रियाएं होती रहती हैं, जिसके कारण समुद्र का पानी ज्यादा खारा नहीं होता, जैसे कि इसमें मौजूद स्केल-असर वाले जानवर अपने Shell के लिए समुद्र में मौजूद नमक का उपयोग करते हैं। और दोस्तो जब ये समुद्री जीव मर जाते हैं, तो लंबे समय के बाद इनका शरीर चूना पत्थर बन जाता है, ये चूना पत्थर समुद्र में आवाजाही के दौरान समुद्र की सतह पर आ जाते हैं। इस चूने का खनन करके इसे घर में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया जाता है, यह वही चूना है जिसका उपयोग हम घर में करते हैं। तो यह प्रक्रिया सालों से ऐसे ही निरंतर चलती आ रही है। दोस्तों जाते जाते आपको ये जानकारी दे दे कि समुद्र में 3.5 प्रतिशत नमक पाया जाता है यानी 100 ग्राम समुद्र के पानी में 3.5 ग्राम पानी में नमक होता है. और दोस्तों अगर कोई प्यासा व्यक्ति अपनी प्यास बुझाने के लिए समुद्र का पानी पीने की कोशिश भी करता है, तो या तो वो व्यक्ति समुंदर का पानी पीकर उल्टी कर देगा या फिर वो इसे पीकर अपने शरीर में पहले से मौजूद पानी के स्तर को और घटा देगा, जिससे उसे और अधिक प्यास लगेगी। तो दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट कर के बताए , ऐसी ही मजेदार और रोचक जानकारी के लिए हमारे चैनल हिंदी पैक को जरूर Subscribe करें और अगर जानकारी पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक और शेयर करें। Channel Link: / @hindipack