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ऐतिहासिक रूप से इन गुफाओं का महाभारत के पांडवों से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन स्थानीय मान्यता यह है कि वनवास के समय पांडव यहाँ रुके थे। इसी कारण इनका नाम “पांडव लेणी” पड़ा। वास्तविक नाम: त्रिरश्मि गुफाएँ (Trirashmi Caves) “त्रिरश्मि” उस पहाड़ी का नाम है, जिस पर ये गुफाएँ बनी हैं। यह गुफाएँ बौद्ध धर्म के हीनयान (थेरवाद) और महायान दोनों परंपराओं से जुड़ी हैं। इनमें बुद्ध की सुंदर प्रतिमाएँ और नक्काशी मिली है। गुफाओं के अंदर मिले ब्राह्मी लिपि के लेख बताते हैं कि इन्हें: • व्यापारियों • दान देने वाले गृहस्थों • क्षहरात वंश (नाहपान) • सातवाहन राजाओं द्वारा दान और सहयोग से बनाया गया था। सबसे विशाल और महत्वपूर्ण • सुंदर स्तंभ, स्तूप और हॉल • ध्यान व प्रार्थना का प्रमुख स्थल 🟠 गुफा 10 (नाहपान की गुफा) • नाहपान के शासनकाल का ऐतिहासिक अभिलेख • सातवाहन–क्षहरात संघर्ष का उल्लेख 🟠 गुफा 18 • सुंदर प्रवेश द्वार • व्यापारी दाताओं द्वारा बनवाई गई Architecture) • पत्थर काटकर बनाई गई रॉक-कट गुफाएँ • स्तंभों पर नक्काशी • छतों पर प्राचीन डिज़ाइन • जल-संग्रह के लिए टंकियाँ (water cisterns) • विहार (रहने की जगह), चैत्य (प्रार्थना हॉल) गुफाएँ एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर हैं। आपको लगभग: • 20–25 मिनट की चढ़ाई • सुंदर ट्रैक • ऊपर से नाशिक शहर का शानदार व्यू मिलता है। #buhaceves#beautifulplace #nasik #nasikbudhaleni#kondanaceves#bhajeleni तो दोस्तों, यह था मेरा आज का छोटा सा एक्सप्लोरिंग ट्रिप नाशिक पांडव लेणी, अगर वीडियो पसंद आए तो लाइक और शेयर ज़रूर करें, और चैनल को सब्सक्राइब कर देना… क्योंकि अगली बार मैं आपको लेकर चलने वाला हूँ ऐसी ही एक और नयी और रोमांचक जगह पर!” subscribe my youtub channel 🙏🙏🙏