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फिस्चुला क्या है ? फिस्चुला – गुदा के मध्य भाग में गुदा ग्रंथियां होती हैं, जिनमें संक्रमण हो जाती हैं जिससे और गुदा पे फोड़ा हो जाता है, जिससे मवाद निकलने लगता है। फिस्चुला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है। यह रेडिएशन, कैंसर, वार्ट्स, ट्रामा, क्रोहन रोग आदि के कारण हो सकता है यह मोटापे और लंबे समय तक बैठने से भी जुड़ा हो सकता है मुहाने से मवाद आना, सूजन, दर्द और लाल के रूप पहचाना जा सकता है प्रारंभ मे्ं एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है, मगर सर्जरी अपरिहार्य होती है. फिश्चुला : एक कष्टकारी समस्या मल मार्ग के अधिकांश विकारों में अत्याधुनिक लेजर सर्जरी' द्वारा उपचार सारे संसार में अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है। इस उपकरण से रेडियो तरंगें निकलती हैं जिनकी गति इतनी तीव्र होती है कि जब उन्हें शरीर के किसी भाग पर केंद्रित किया जाता है तो वे उसे काटने, जलाने या सुखाने की क्षमता रखती है। इस विशेषता की वजह से भगंदर (फिश्चुला) के उपचार में लेजर सर्जरी एक अत्यंत प्रभावशाली चिकित्सा साबित हुई है। भगंदर गुदा के उस विकार का नाम है जिसमें गुदा से कुछ दूरी पर एक फोड़ा या गांठ बन जाती है, जिसमें से समय-समय के बाद मवाद, खून या रक्त स्त्राव होता रहता है। दर्द युक्त यह स्थान उठने-बैठने में असुविधा पैदा करता है। चिपचिपेपन की वजह से उस स्थान पर खुजली और बेचैनी का एकसास होता रहता है। अब तक फिश्चुला के उपचार के रूप में शल्यक्रिया या 'क्षार सूत्र' पद्धति का इस्तेमाल होता आ रहा है। जहाँ शल्यक्रिया के पश्चात मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है और फिर घाव मी मरहम पट्टी करवानी पड़ती है, वहीं क्षार सूत्र विधि बहुत लम्बी, उबाऊ और पीडादायक विधि है जिसमें उपचार की अवधि तीन से नौ माह तक हो सकती है। लेजर सर्जरी द्वारा भगंदर का उपचार अत्यंत सरल और सुगम हो चला है। इस विधि में ना तो टांके लगाने की जरूरत होती हैं, और ना ही बार-बार ड्रेसिंग करने की। उपचार के चौबीस घंटे के बाद को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। सप्ताह भर के आराम के पश्चात वह अपनी दिनचर्या में लौट सकता है। करीब दो माह में घाव सूख जाता है। ये सभी एक दूसरे से कैसे अलग हैं? 1. पाइल्स मुख्य रूप से सूजी हुई रक्त वाहिकाएं हैं, जबकि फिशर एक प्रकार की कट या दरारें होती हैं और फिस्चुला एक गुहा का उद्घाटन होता है। 2. पाइल्स ज्यादातर दर्द रहित होता है और ध्यान से ओझल रहता हैं। फिशर में बहुत रहता है। फिस्टुला में गुदा क्षेत्र से मवाद का स्राव होता है। 3. कब्ज के अलावा जो आमतौर पर तीनों से जुड़ा होता है, पाइल्स गर्भावस्था और लगातार खांसी के साथ जुड़ा हुआ है। फिशर दस्त और मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव डालने के साथ जुड़ा हुआ है। फिस्टुला आमतौर पर क्रोहन रोग, मोटापे और लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने से होता है। 4. आहार में उच्च फाइबर और तरल पदार्थ के अधिक सेवन से तीनों को रोका जा सकता है। इसके अलावा फिस्टुला को शौच के बेहतर और स्वच्छ आदतों का अभ्यास करके रोका जा सकता है। पाइल्स का इलाज काउंटर दवा और घरेलू उपचार द्वारा आसानी से किया जा सकता है। लेकिन फिशर दवा और सर्जिकल प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है। फिस्टुला का पता लगाना और उपचार अधिक कठिन है और इसको पता लगाने के लिए एमआरआई या सोनोफिस्टुलग्राम की आवश्यकता हो सकती है। इस का उपचार सर्जरी के माध्यम से होता है। आप मिर्च-मसालों, चटपटी चीजों कर प्रयोग बंद कर दें। फल एवं सब्जियाँ खायें। खूब पानी पीयें। मल त्याग के पश्चात एक टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें १० मिनिट बैठकर गुदा स्थान की सिंकाई करें। हलके व्यायाम जैसे साईकिल चलाना तेज पैदल चलना या तैरना भी फायदेमंद होगा।