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नमस्ते दोस्तों, आज की इस वीडियो में हम महाभारत काल के एक ऐसे प्रसंग के बारे में जानेंगे, जो हमें दान और पुण्य का असली अर्थ सिखाता है। महाराज युधिष्ठिर का राजसूय और अश्वमेध यज्ञ इतिहास के सबसे भव्य यज्ञों में से एक माना जाता है, जहाँ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण और देवराज इंद्र उपस्थित थे। लेकिन इसी यज्ञ के बीच एक ऐसी घटना घटी जिसने सबको हैरान कर दिया। इस वीडियो में आप जानेंगे: क्यों एक आधी सोने की गिलहरी यज्ञ मंडप में आई? युधिष्ठिर के भव्य यज्ञ से ज्यादा महान एक गरीब लकड़हारे का दान क्यों था? भगवान श्रीकृष्ण ने 'असली यज्ञ' की क्या परिभाषा दी? निस्वार्थ सेवा और दिखावे के दान में क्या अंतर है? यह कहानी हमें सिखाती है कि लाखों का दान और घी की आहुतियां उतनी फलदायी नहीं होतीं, जितना किसी भूखे को दिया गया एक निवाला या किसी पीड़ित की निस्वार्थ सेवा होती है। वीडियो को अंत तक देखें और जानें कि जीवन का सबसे बड़ा पुण्य क्या है। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें और पुण्य के भागीदार बनें। #Mahabharat #LordKrishna #SpiritualStory #Yudhisthira #AsliAshwamedhYagya #InspirationalStory #HindiKatha #Motivation #Dharm #Punya #Kindness #IndianMythology #असली_अश्वमेघ_यज्ञ #महाभारत_कथा