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“फिस्चुला क्या है यह बला” फिस्चुला, जिसे आम भाषा में “भगंदर, या ‘नाली घाव’ भी कहा जाता है, मलद्वार के पास होने वाला विकार है जो बरसों मरीज को कष्ट देता रहता है. यह एक सुरंग यह नाली की तरह का घाव होता है, जिसका एक छोर गुदा के बाहर त्वचा पर खुलता है और दूसरा मल मार्ग में भीतर की ओर. इसके लक्षणों में काफी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, पहले मरीज को गुदा के आसपास दर्द महसूस होता है, दो-तीन दिन बाद वहां सूजन या गांठ उभर आती है जो छूने पर दर्द करती है. अगले दो-तीन दिनों में यह गांठ फूट जाती है और वहां से मवाद बहने लगता है. पीप के निकलते ही मरीज की तकलीफें कम होने लगती है, मगर कुछ दिनों के बाद यह क्रम पुनः दोहराया जाता है. बार-बार मवाद द्रवित करने वाला भगंदर का बाहरी छेद मरीज के लिए एक चिंता और परेशानी का कारण बन जाता है, कपड़ों पर दाग लगना, दर्द, खुजली, बुखार, भूख न लगना, वजन कम होना, पेशाब में तकलीफ, उठने- बैठने में परेशानी, जैसी वजहों से मरीज का जीना दूभर हो जाता है. उपचार- इस रोग का संपूर्ण उपचार शल्यक्रिया ही है, प्रारंभ में एंटीबायोटिक दवाओं और दर्दनाक औषधियों के लक्षणों में राहत मिलती है. “बवासील” की गोलियां भी लक्षणों को कम करने में सहायक होती हैं. “नीम हक़ीमों के उपचार से सावधान रहें”- कुछ तथाकथित बवासीर स्पेशलिस्ट इस सुरंग नुमा घाव में कुछ ऐसे घोल का प्रवेश करवाते हैं जिनसे भीतर दाह और शोथ उत्पन्न होता है इस प्रक्रिया से मरीज को मरणांतक पीड़ा होती है. कभी-कभी तो उपचार की गई सारी जगह सड़ गल जाती ह। उसी तरह बिना कोई शैक्षणिक योग्यता हासिल किए झोलाछाप डॉक्टर आयुर्वेद के नाम पर धागे से इस बीमारी को हमेशा के लिए गारंटी से दूर करने का दावा करते हैं, मगर उपचार करवाने के बाद भी बीमारी जो की त्यों बनी रहती है या उसमें कोई जटिलता उत्पन्न हो जाती है. फिर सिवा पछताने के हाथ कुछ नहीं आता. फिस्चुला को मामूली बीमारी समझकर उसकी अवहेलना करना कालांतर में घातक सिद्ध हो सकता है. फिस्टुला (भगंदर) एक असामान्य सुरंग है जो शरीर के दो अंगों या एक अंग और त्वचा के बीच बनती है, आमतौर पर गुदा और उसके आसपास की त्वचा के बीच। यह दर्द, सूजन, मवाद और खुजली जैसे लक्षणों के साथ आता है और इसका इलाज अक्सर सर्जरी से होता है। फिस्टुला का मुख्य कारण किसी चोट, सर्जरी, संक्रमण, या क्रोहन रोग जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। फिस्टुला के लक्षण: गुदा क्षेत्र में दर्द, सूजन और लालिमा। गुदा के पास त्वचा से मवाद या खून का रिसाव। बुखार और ठंड लगना। जलन और खुजली। कमजोर महसूस करना। फिस्टुला के कारण: संक्रमण: गुदा नली में संक्रमण के बाद फोड़ा बनने पर। चोट या सर्जरी: किसी प्रकार की चोट या सर्जरी के बाद ठीक से ठीक न होने पर। बीमारियाँ: क्रोहन रोग (एक प्रकार की आंतों की सूजन) या अन्य सूजन संबंधी बीमारियाँ। अन्य: मोटापे, लंबे समय तक बैठे रहना या प्रसव के दौरान हुई जटिलताएँ भी इसका कारण बन सकती हैं। उपचार: सर्जरी: फिस्टुला के उपचार के लिए अक्सर सर्जरी आवश्यक होती है, जिसमें फिस्टुला को हटा दिया जाता है। लेजर सर्जरी जैसे आधुनिक तरीकों से कम जटिलताएँ होती हैं और रिकवरी तेज़ी से होती है, जैसा कि Dr. Abhijit Gotkhinde के ब्लॉग। दवाएं: डॉक्टर संक्रमण को नियंत्रित करने और दर्द से राहत के लिए दवाएं लिख सकते हैं। जीवनशैली में बदलाव: कुछ मामलों में, जीवनशैली में बदलाव (जैसे फाइबर युक्त आहार लेना) और सही देखभाल से मदद मिल सकती है। यदि आपको फिस्टुला के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बिना इलाज के अपने आप ठीक नहीं होता है।