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Singer Kumar Sanu Interview: दिल की बात, दिग्गज सिंगर कुमार सानू के साथ | NBT बॉलिवुड के दिग्गज सिंगर कुमार सानू का जन्म कोलकाता में हुआ था, उनका मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज बनाये रखा है। उनको पहला ब्रेक जगजीत सिंह ने दिया था। उन्होंने उन्हें कल्याणजी आनंदजी से मिलवाया जिन्होंने 1989 में आई फिल्म 'जादूगर' के लिए कुमार सानू से गीत गवाया।कुमार सानू एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करने वाले वह एकमा���्र गायक हैं। उन्होंने बीस हज़ार गाने गाये हैं। कुमार सानू का आज के दौर के संगीत के बारे में कहना है कि 'आज के संगीत से मेलोडी, सुर, ताल आदि कहीं गुम होता जा रहा है और उसकी जगह शोर ले रहा है। यही वजह है कि आज के अधिकतर गीत यादगार प्रतीत नहीं होते।' उनकी चाहत हमेशा रही कि काश उन्होंने सचिन देव बर्मन के साथ कोई गाना गाया होता।बहुत समय से वे बंगाली फिल्मों में सक्रिय हैं और हिंदी फिल्मों में कम। सन् 2009 में उनके अभूतपूर्व संगीत योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया और देश के चौथे सबसे सम्मानित नागरिक के तौर पर मनोनीत भी हुए। फिल्म राउडी राठौर में गीत 'छम्मक-छल्लो छैल छबीली' के साथ दोबारा वापसी की। फिर सन् 2014 की रिलीज यशराज फिल्म निर्मित दम लगा के हईशा फिल्म में गीत 'दर्द करारा' गाया।कुमार सानु को अधिकतर 1990 के दशक की फिल्मों में दिये गए पार्श्व गायन के लिये जाना जाता है। फिल्म जुर्म के गाने 'जब कोई बात बिगड़ जाए' से उन्हें पहली सफलता मिली, लेकिन उन्हें 'आशिकी' ने सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म से उन्होंने शुरुआत कर लगातार पांच सालों तक, 1991 से लेकर 1995 तक फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार जीता। जो कि एक कीर्तिमान है। उन्होंने उस समय के लगभग सभी संगीतकार के लिये गीत गाए हैं:- आनंद-मिलिंद, जतिन-ललित और अनु मलिक। लेकिन वो नदीम-श्रवण है जिनके साथ उनकी सफलता की शुरुआत हुई और उन्हें सर्वाधिक कामयाबी प्राप्त हुई। आज नवभारतटाइम्स ऑनलाइन पर हम सेलिब्रेट कर रहे हैं कुमार सानू की शानदार जर्नी को, इस लाइव बातचीत में आप भी पूछ सकते हैं अपने ��वाल। #KumarSanu #NBT