У нас вы можете посмотреть бесплатно चित्तौड़गढ़ के जौहर कुंड व रानी पद्मावती का इतिहास || History of Jauhar Kund and Rani Padmavati или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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About this video:- Is video me rani padmavati raja ratan singh or allaudij khilji ki kahani ptai gai hai or chittorgarh ke johar kund ke baare me btaya gya hai kese rani padmavati or mahan ki sabhi raniyo ne johar kiya itihas me naa bhulje wali wo kahani is video me btai gai hai or rani padmavati ki khubsurati ka jikar kiya gya hai Full script if you like readig :- #RaniPADMAVATI #historyहिन्दी #Uniworldgyan जैसलमेर, भानगढ़ और भी ऐसे कई किले हैं जिनके नाम से राजस्थान के बहुत से पुराने इतिहास आज भी लोगों के जहन में खई सारे सवाल खड़ा कर देते हैं। यहां छोटे बड़े सभी किले हैं इनमें से अमूमन सभी के पीछे एक बड़ा इतिहास है। इसी कड़ी में आगे आज आपको बता रहे हैं राजस्थान के एक ऐसे किले के बारे में, जिसके इतिहास को जानने के बाद लोग लोग इसे सदियों तक भुला नहीं पाएंगे। बात कर रहे हैं 'चित्तौड़गढ़ किले' की। वर्षभर चित्तौड़गढ़ किले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। विदेशों तक इस किले की बनावट एवं खूबसूरती का जिक्र होता है। किले के एक-एक भाग को बारीकी से देखने एवं समझने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इसी किले का एक हिस्सा ऐसा है, जहां जाने की कोई हिम्मत नहीं करता। यह है चित्तौड़गढ़ किले का ‘जौहर कुंड’, वहां जाना तो दूर, कोई ख्याल में भी इस जगह के पास जाने की नहीं सोचता। यदि कुछ लोगों ने कोशिश भी की है, तो वे आखिर तक इस कुंड तक पहुंचने में असफल हो जाते हैं। जौहर कुंड को ‘हॉंटेड’ यानी कि भूतिया, नकारात्मक शक्तियों से युक्त माना गया है। इसके पीछे एक बड़ी कहानी है जो प्यार, दुश्मनी और एक बड़े बलिदान के बारे में बताती है। चित्तौड़गढ़ जहां अपने भव्य किले के लिए जाना जाता है, वहीं यह शहर रानी पद्मिनी के बलिदान से भी जाना जाता है। रानी पद्मिनी, शायद इतिहास में इतनी खूबसूरत स्त्री कोई नहीं होगी। उनकी यही खूबसूरती उनकी दुश्मन बनी और तब चित्तौड़गढ़ के इतिहास के पन्नों में जुड़ा एक ‘काला’ पन्ना। रानी पद्मिनी, चित्तौड़ की रानी थीं। वे सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी थीं। बचपन से ही उनके माथे के तेज और खूबसूरती के चर्चे हर तरफ होते थे। बड़े होने पर जब विवाह का समय आया तो, अपनी सुंदर-सुशील पुत्री के लिए राजा ने स्वयंवर का प्रबंध किया। जिसके बाद पद्ममिनी का विवाह राजा रत्न सिंह के साथ हो गया। राजा रत्न सिंह काफी शूरवीर योद्धा थे उनकी पहले से ही 14 रानियां थी। कुछ समय बीतने के पश्चात्, कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी की रानी पद्मिनी पर बुरी नजर थी जिसके लिए उसने राजा के साथ युद्ध करके जीत के बदले में पदमिनी को भी मांगा। फिर क्या था राजा रतन सिंह युद्ध में शहीद हो गए। उनके शहीद होने की ख़बर सुनने के बाद राजा की सभी रानियां एवं अन्य सैनिकों की पत्नियां भी रानी पद्मिनी की अगुवाई में जौहर कुंड की ओर बढ़ीं। यह कुंड महल के एक कोने में काफी गहराई में बना था। घने रास्ते से होते हुए सभी जौहर कुंड पहुंचीं। वहां स्नान किया और जौहर कुंड की अग्नि में कूद पड़ी। इतिहासकारों के अनुसार इस कुंड में छलांग लगाने वाली सबसे पहली रानी पद्मिनी ही थीं। उनके बाद एक-एक करके सभी रानियों एवं शहीद सैनिकों की पत्नियों ने जौहर कुंड में खुद को झोंक दिया। कुछ बचा था तो दर्दनाक आवाजें- किले का दुर्ग तोड़ जब तक शत्रु सैनिक भीतर आए, उन्हें जौहर कुंड से चीखने की आवाजें आईं। वे उस कुंड के पास भी जाने में असमर्थ थे, क्योंकि अग्नि की लपटें काफी तेज थीं। राजस्थान में ‘जौहर प्रथा’ काफी प्रचलित है। यह ठीक सती प्रथा की तरह ही है, लेकिन इसका प्रयोग तब किया जाता था जब कोई राजा अपने शत्रु से युद्ध में शहीद हो जाए और अपनी आन-बान एवं सम्मान को बचाने हेतु शत्रुओं के हाथ लगने की बजाय, महल की स्त्रियां कुंड की अग्नि में खुद को न्योछावर कर देती थीं। चित्तौड़गढ़ के किले के जिस जौहर कुंड में रानी पद्मिनी ने छलांग लगाई थी, आज उस कुंड की ओर जाने वाला रास्ता बेहद अंधेरे वाला है। यहां तक कि रास्ते की दीवारों में आज भी कुंड की अग्नि की वो गर्माहट महसूस की जा सकती है। जिस किसी ने भी इस कुंड के करीब जाने की कोशिश की है, उसे बेहद आपत्तिजनक अहसास का सामना करना पड़ा है। यह स्थान नकारात्मक शक्तियों से पूरित माना गया है।