У нас вы можете посмотреть бесплатно प्रधानों को अब 15000 रुपया महीना पेंसन मिलेगा। सदस्य चौकीदर, बीडीसी को भी..? गनर लेकर चलेंगे। или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानों की भूमिका ग्रामीण विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। ग्राम प्रधान का मुख्य उद्देश्य गाँव की समृद्धि और प्रगति के लिए काम करना होता है। सरकार द्वारा गाँव के विकास के लिए अनेक योजनाएँ चलाई जाती हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत गाँव में रोजगार और बुनियादी ढांचे का निर्माण होता है। #pradhansalary, #uppradhanelection, pradhan salary hike, pradhani election, gaon ke pradhan ki shikayat kaise karen, gaon ke pradhan ki shikayat karne ka kanuni tarika, agar gaon ka pradhan kam na kare to kya karen, उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानों की भूमिका ग्रामीण विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। ग्राम प्रधान का मुख्य उद्देश्य गाँव की समृद्धि और प्रगति के लिए काम करना होता है। सरकार द्वारा गाँव के विकास के लिए अनेक योजनाएँ चलाई जाती हैं, जिनमें से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) एक महत्वपूर्ण योजना है। इसके तहत गाँव में रोजगार और बुनियादी ढांचे का निर्माण होता है। ग्राम प्रधानों को मिलने वाली पेंशन वर्तमान में, उत्तर प्रदेश सरकार ग्राम प्रधानों को पेंशन देने की योजना पर काम कर रही है। हाल ही में, यूपी सरकार ने 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पूर्व प्रधानों के लिए पेंशन योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत पूर्व ग्राम प्रधानों को 1,000 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक की मासिक पेंशन दी जाएगी। यह पेंशन योजना उन प्रधानों के लिए है जिन्होंने अपने कार्यकाल में अच्छे तरीके से ग्राम विकास के लिए काम किया है। हालांकि, यह राशि और योजनाएँ भविष्य में बदल भी सकती हैं, और इसके लिए प्रधानों को कुछ शर्तों का पालन करना होता है, जैसे कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। ग्राम प्रधान कैसे गाँव के विकास में योगदान दे सकता है ग्राम प्रधान ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न सरकारी योजनाओं का संचालन कर सकते हैं और ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करवा सकते हैं। कुछ प्रमुख कार्य जो ग्राम प्रधान गाँव के विकास के लिए कर सकते हैं: नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत रोजगार के अवसर पैदा करना: नरेगा के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल कम से कम 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है। ग्राम प्रधान इसके अंतर्गत गाँव के बेरोजगार लोगों को रोजगार दिलाने के लिए काम कर सकता है। इसके तहत सड़कों का निर्माण, तालाबों की खुदाई, जल संचयन संरचनाओं का निर्माण आदि जैसे कार्य किए जा सकते हैं। इससे गाँव में बुनियादी ढांचे का विकास होता है और रोजगार भी उपलब्ध होता है। जल और स्वच्छता परियोजनाएँ: ग्राम प्रधान गाँव में जल संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। नल से जल योजना, जल संचयन के साधनों का निर्माण, शौचालय निर्माण आदि के माध्यम से वे गाँव को साफ और स्वस्थ्य बना सकते हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा: गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा में सुधार के लिए ग्राम प्रधान स्वास्थ्य केंद्रों और स्कूलों की सुविधाओं में सुधार कर सकते हैं। साथ ही, सरकारी योजनाओं के तहत गाँव के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जागरूकता अभियान चला सकते हैं। सड़क और परिवहन सुविधाएँ: ग्राम प्रधान ग्रामीण सड़कों का निर्माण करवा सकते हैं ताकि ग्रामीणों को शहरों तक पहुंचने में आसानी हो। इसके अलावा, मुख्य बाजारों और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच बेहतर परिवहन सुविधाएँ सुनिश्चित की जा सकती हैं। कृषि विकास: गाँवों में कृषि विकास के लिए प्रधान कृषि आधारित योजनाओं को लागू कर सकते हैं। फसल बीमा योजना, मृदा परीक्षण, सिंचाई के साधन, और किसानों को प्रशिक्षण दिलाने में भी प्रधान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नरेगा और ग्राम विकास में प्रधान की भूमिका नरेगा ग्राम प्रधान को सशक्त बनाता है कि वह गाँव में कार्य योजनाओं को प्राथमिकता दे और उन योजनाओं का निष्पादन करवाए। ग्राम प्रधान नरेगा के तहत आय सृजन के कार्यों में गाँव के निवासियों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। इन कार्यों में जल संरक्षण, तालाबों का निर्माण, कच्ची सड़कों का निर्माण, वृक्षारोपण आदि शामिल हैं। नरेगा के तहत काम करने से गाँव के लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति भी बढ़ती है। अंततः, ग्राम प्रधान अपनी समझदारी और नेतृत्व क्षमता के माध्यम से गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकारी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन कर, ग्रामीणों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, वे गाँव की प्रगति को सुनिश्चित कर सकते हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) के तहत मजदूरी की दर राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर तय की जाती है और राज्यों को इसे लागू करने का अधिकार होता है। वर्ष 2023-24 में नरेगा के तहत मजदूरी की दर उत्तर प्रदेश में लगभग ₹231 प्रति दिन है। हालांकि, यह दर हर साल संशोधित की जाती है और राज्यों के हिसाब से थोड़ा अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में मजदूरी दर इससे अधिक या कम हो सकती है, जैसे केरल में यह दर ₹311 प्रति दिन है, जबकि बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में यह ₹210 के आसपास हो सकती है। नरेगा मजदूरी दरों को हर वित्तीय वर्ष के अनुसार संशोधित किया जाता है, और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी के माध्यम से आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है।