У нас вы можете посмотреть бесплатно मेवाड़ की प्रसिद्ध गवरी नृत्य || बंजारा और मीणा का खेल || राजस्थानी गवरी || Gavri || See Must или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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#gavri2023 #gavri2025 #mewad #gavri2023 #gavri2025 #mewad #udaipur #gavri #Gavari #Gavari2025 गवरी क्या है... इतिहासकार श्री कृष्ण जुगनू बताते हैं कि गवरी राजस्थान का एक लोक नृत्य है जो भील समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है। गवरी के कलाकार शहर या गाँव के किसी चौराहे पर घेरा बनाकर बीच में माताजी की स्थापना करते हैं और थाली-मांदल (ढोल) की थाप पर नृत्य करते हैं। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। यह माता गौरराज्य (पार्वती) की आराधना के लिए किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के चमकीले वस्त्र और रंग-बिरंगे श्रृंगार के साथ गोल घेरे में 'घुम-घुम' के संवाद के साथ नृत्य किया जाता है। ठंडी राखी से लेकर 40 दिनों तक मेवाड़ के आँचल में गवरी की धुन गूंजती रहेगी। सुबह से शाम तक होने वाले इस अनुष्ठान में कई प्रकार के खेल दिखाए जाते हैं। हर खेल में सामाजिक जागरूकता का संदेश भी दिया जाता है जैसे - चोरी नहीं करनी चाहिए, इसका अंत बुरा होता है (गोमा के खेल में), पेड़ नहीं काटने चाहिए, इससे क्या मुसीबत आ सकती है (राजा-रानी के खेल में, वरजू कंजरी), किसी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए (कालूकीर के खेल में), संकट का डटकर सामना करना चाहिए (भीलू राणा के खेल में मुगलों से युद्ध करना), स्वयं खुश रहना और दूसरों को भी खुश रखना (सेठजी के खेल में), प्रेम का सुंदर चित्रण (कान्हा-गूजरी के खेल में), नारी शक्ति और सम्मान (राजा-रानी)। इसके अलावा और भी कई खेल होते हैं। एक गवरी में लगभग 150 सदस्य होते हैं। सबसे खास बात यह है कि इसमें अभिनय करने वाले सभी सदस्य पुरुष ही होते हैं। इनमें कुछ महिलाएं का किरदार भी निभाती हैं। 40 दिन बाद शाही जुलूस के साथ गवरी को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।