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चुकंदर की टॉप वैरायटी और उत्पादन विधि • 🫚अदरक💯✔️ की खेती मे लाखो का मुनाफा कुछ ही ... Your queries:- चुकंदर (वैज्ञानिक नाम: बीटा वल्गैरिस) एक महत्वपूर्ण जड़ वाली सब्जी है, जो अपने मीठे स्वाद और पोषक तत्वों के लिए प्रसिद्ध है। इसका उपयोग सलाद, जूस, सूप, और विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। पोषक तत्व और स्वास्थ्य लाभ चुकंदर में 8-15% शर्करा, 1.3-1.8% प्रोटीन, 3-5% कार्बनिक अम्ल, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, मैंगनीज, विटामिन सी, बी1, और बी2 प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह रक्त को शुद्ध करने, पाचन तंत्र को सुधारने, और यकृत की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से त्वचा में निखार आता है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, और हृदय रोगों का जोखिम कम होता है। जलवायु और मिट्टी चुकंदर की खेती विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में की जा सकती है। 20-22 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए उपयुक्त है। ठंडे मौसम में उच्च शर्करा का निर्माण होता है, जिससे जड़ों का रंग गहरा लाल हो जाता है। बलुई दोमट और दोमट मिट्टी, जिसमें अच्छी जल निकासी हो, चुकंदर की खेती के लिए आदर्श होती है। उन्नत किस्में चुकंदर की कुछ प्रमुख उन्नत किस्में निम्नलिखित हैचुकंदर की खेती के लिए कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जो उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में भिन्न होती हैं। यहाँ शीर्ष 5 किस्में और उनकी प्रति एकड़ उत्पादन क्षमता प्रस्तुत की गई हैं क्रिमसन ग्लोब: यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देने के लिए जानी जाती है। इसके फल बाहर और अंदर से हल्के लाल रंग के होते हैं और पकने में 70 से 80 दिन का समय लेते हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 300 क्विंटल होता है, जो प्रति एकड़ लगभग 120 क्विंटल के बराबर है।डेट्रॉइट डार्क रेड: इस किस्म के चुकंदर का गूदा खून की तरह लाल होता है, जबकि बाहरी सतह चमकदार गहरे लाल रंग की होती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन 250 क्विंटल से अधिक होता है, जो प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल के बराबर है मिश्र की क्रॉस्बी: इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं। फलों का गूदा गहरे बैंगनी-लाल रंग का होता है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 200 क्विंटल होता है, जो प्रति एकड़ लगभग 80 क्विंटल के बराबर है।अर्ली वंडर: इस किस्म के पौधे बीज रोपाई के बाद लगभग 60 से 75 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं। फलों का गूदा हल्के लाल रंग का होता है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन 150 से 200 क्विंटल तक होता है, जो प्रति एकड़ लगभग 60 से 80 क्विंटल के बराबर है। एम. एस. एच. – 102: यह किस्म अधिक उत्पादन देने के लिए जानी जाती है। पौधे बीज रोपाई के लगभग तीन महीने बाद पककर तैयार हो जाते हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन 250 क्विंटल से अधिक होता है, जो प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल के बराबर है। कृपया ध्यान दें, प्रति एकड़ उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु, सिंचाई, और फसल प्रबंधन तकनीकें। उचित देखभाल और प्रबंधन से उपज में वृद्धि संभव है। अर्ली वंडर: चपटी और चिकनी लाल जड़ें, हरी पत्तिया इन किस्मों की फसल 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रमुख उत्पादक देश विश्व में चुकंदर उत्पादन में रूस अग्रणी है, जो प्रति वर्ष लगभग 41.2 मिलियन टन उत्पादन करता है। इसके बाद फ्रांस (34.3 मिलियन टन) और संयुक्त राज्य अमेरिका (33.3 मिलियन टन) का स्थान है। उपयोग और सावधानियां चुकंदर का उपयोग सलाद, जूस, सूप, और विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। हालांकि, इसके अधिक सेवन से कुछ लोगों में एलर्जी, पथरी, या पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, संतुलित मात्रा में इसका सेवन करना उचित है। चुकंदर की खेती और इसके उपयोग से संबंधित यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त समय और जलवायु का चयन महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश में, चुकंदर की बुवाई का आदर्श समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस अवधि में तापमान 18-21 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, जो चुकंदर के अंकुरण और विकास के लिए अनुकूल है। चुकंदर की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक ठंड दोनों ही चुकंदर की फसल के लिए हानिकारक हो सकते हैं। चुकंदर की बुवाई के समय का तापमान 18-21 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। पौधों के विकास के लिए 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। अधिक तापमान होने पर जड़ों में चीनी की मात्रा बढ़ने लगती है। मिट्टी के चयन में, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, चुकंदर की खेती के लिए आदर्श होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 9 से 10 के बीच होना चाहिए। यह एकमात्र ऐसी फसल है जिसकी खेती खारी मिट्टी और क्षारीय मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। चुकंदर की फसल बुवाई के 60-75 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है, जब जड़ें 3-5 सेमी व्यास प्राप्त कर लेती हैं। चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त समय, जलवायु, और मिट्टी का चयन करके, आप बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। चुकंदर से संबंधित कुछ प्रमुख खोज प्रश्न निम्नलिखित हैं: चुकंदर का वैज्ञानिक नाम क्या है? चुकंदर का वैज्ञानिक नाम बीटा वल्गैरिस (Beta vulgaris) है। चुकंदर के सेवन से क्या लाभ होते हैं? चुकंदर के सेवन से रक्तचाप नियंत्रित रहता है, पाचन तंत्र में सुधार होता है, और यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। चुकंदर का रस कब और कितना पीना चाहिए? चुकंदर का रस सुबह खाली पेट या भोजन के साथ लिया जा सकता है। मात्रा व्यक्ति की आवश्यकता और सहनशीलता पर निर्भर करती है; सामान्यतः आधा से एक गिलास पर्याप्त होता है। चुकंदर के सेवन से क्या नुकसान हो सकते हैं? अत्यधिक चुकंदर के सेवन से कुछ लोगों में एलर्जी, पथरी, या पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। #vrindafarm_#farming_#trendingvideos