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माता का नाम पूरे भारत भर में प्रसिद्ध है यह मंदिर मध्य प्रदेश की दतिया नामक स्थान से 55 किलोमीटर दूर पर झांसी से 70 किलोमीटर दूर सिंधु नदी के किनारे स्थित है इस मंदिर में स्थित माता मुंडा वाली एवं कंवर महाराज के दर्शन के लिए भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोग आते हैं इस मंदिर का निर्माण कई वर्षों पूर्व हुआ था इस मंदिर का संबंध मुगलों और छत्रपति शिवाजी के जीवन से जुड़ा हुआ है जब मुगलों ने छत्रपति शिवाजी को बंदी बना लिया था तब स्वामी रामदास और दादा कोंड देव महाराष्ट्र से आकर रतनगढ़ आकर रुके थे और यहां पर उन्होंने मां की साधना की थी इस मंदिर की यह अभी मानता है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप ने काट लिया है तो मां के मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति के शरीर में स्थित चैट तुरंत खत्म हो जाता है दोस्तों यदि आप रतनगढ़ वाली माता के बारे में जानना चाहते हैं तो यह वीडियो पूरी देखिए तो लिए जानते हैं मां रतनगढ़ वाली माता के बारे में विस्तार से वीडियो से शुरू करने से पहले मैं आपको बता दूं मैं आपका दोस्त मिथुन प्रजापति और आप देख रहे हैं m दर्शन वीडियो को लाइक कर दीजिए और अगर आप इससे पहले हमारे यूट्यूब चैनल पर नए हैं तो चैनल को अवश्य सब्सक्राइब कीजिए अब लिए करते हैं वीडियो की शुरुआत रतनगढ़ वाली माता की महिमा की अगर बात करें तो इस मंदिर में हुई चमत्कार बहुत सारे हैं यदि इस मंदिर में नवरात्रि के समय पैदल चलकर मां के दर्शन किया जाए तो माता व्यक्ति की मां की संपूर्ण करती हैं यहां स्थित कुंवर महाराज के मंदिर में भाई दूज वाले दिन यानी कि दीपावली की अगले दिन कुंवर महाराज के मंदिर के दर्शन के लिए यहां लोग दूर-डी भाई दूज वाले दिन यानी कि दीपावली के अगले दिन कुंवर महाराज के दर्शन बहुत ही अच्छा माना जाता है मान्यताओं के द्वारा कुंवर महाराज को रतनगढ़ वाली माता का भाई माना जाता है कहते हैं कि जब शिकार के लिए जंगल में जाया करते थे तब वहां स्थित सभी सांप अपना जहर बाहर निकाल दिया करते थे इसी वजह से यदि किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तो उसको बचाने के लिए इसी मंदिर में लाया जाता है इस मंदिर का निर्माण वीर मारवाड़ी ने मुंह करने के पश्चात करवाया था इस मंदिरमें प्रसाद के तौर पर घंटा चढ़ाने की मान्यता होती है अभी कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सबसे भजनी घंटा को मन को अर्पण किया है यदि मंदिर के आसपास के पेड़ों की लकड़ी को घर के अंदर रखा जाए तो इससे आपके घर में कभी भी कोई सांप प्रवेश नहीं करेगा रतनगढ़ मंदिर के खुलने का समय सुबह 7:00 बजे मां की पहली आरती होती है इसके बाद शाम को 10:00 बजे मां की दूसरी आरती होती है नवरात्रि के अंतिम दिनों में यहां रात के 12:00 एक आरती की जाती है आप मां के प्रसाद के रूप में अपनी इच्छा अनुसार लड्डू चुनरी बा नारियल कुछ भी ले जा सकते हैं इस मंदिर में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व नवरात्रि व भाई दूजे नवरात्रि वाले दिनों में यहां दूर-दूर से लोग पैदल चलकर माता के दर्शन के लिए आते हैं इन दोनों में माता के दर्शन करने से मन को शांति व घर में खुशहाली बनी रहती है भाई दूज वाले दिनों में कुंवर महाराज के मंदिर में अत्यधिक भीड़ एकत्र होती है इस दिन कई ऐसे भी लोग आते हैं जिनको सामने काटा है कहते हैं कि यदि भाई दूज वाले दिन कुंवर महाराज के दर्शन करने से शरीर में एकत्राज तुरंत शरीर के बाहर निकल जाता है यदि आप बाहर से मां के दर्शन के लिए आ रहे हैं तो आप यहां के स्थित कई होटलों में आराम से अपनी रात-बाद दिन गुजार सकते हैं