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ओंकारेश्वर, बारह ज्योतिर्लिंगों में से चौथा है, जहाँ भगवान शिव की पूजा उनके दीप्तिमान रूप "ॐ" में की जाती है - जो सृष्टि की ब्रह्मांडीय ध्वनि का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विंध्य पर्वत ने यहाँ रेत और मिट्टी से शिव की पूजा की थी; शिव प्रसन्न हुए और ओंकारेश्वर और अमरेश्वर (ममलेश्वर) दोनों रूपों में प्रकट हुए। अन्य किंवदंतियाँ इक्ष्वाकु वंश के राजा मान्धाता और देवों और दानवों के बीच हुए एक ब्रह्मांडीय युद्ध से जुड़ी हैं, जिसके बाद शिव यहाँ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुएu यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से युक्त है, यह पाँच मंजिला संरचना है जिसमें नक्काशीदार स्तंभ और प्रत्येक मंजिल पर अनेक देवता विराजमान हैं। मुख्य भूमि से यहाँ पहुँचने के लिए एक झूला पुल (झूला पुल) और नावें उपलब्ध हैं। 🕰️ मंदिर का समय और अनुष्ठान दर्शन का समय: सुबह: लगभग 5:00–12:20 दोपहर: लगभग 1:15–16:00 शाम: लगभग 16:45–20:30 (लगभग) आधिकारिक कार्यक्रम में प्रतिदिन लगभग 21:00–21:30 बजे मंगल आरती, श्रृंगार दर्शन और शयन दर्शन शामिल हैं। प्रमुख अनुष्ठान: अभिषेकम (अनुष्ठान स्नान), नर्मदा आरती (नदी तट पर दीपदान), लघु/महा रुद्र, भस्म आरती और शिव के विश्राम के लिए संध्याकालीन शयन आरती। द्वीप परिक्रमा: पवित्र द्वीप के चारों ओर लगभग 7 किमी की परिक्रमा, आध्यात्मिक पुण्य और कर्मों की शुद्धि प्रदान करती है। 🚗 वहाँ पहुँचना और सुविधाएँ हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा (लगभग 77-80 किमी दूर) है, जिसकी पूरे भारत में अच्छी कनेक्टिविटी है। रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन: ओंकारेश्वर रोड स्टेशन (~12 किमी) और खंडवा जंक्शन (~70-78 किमी) — प्रमुख रेल मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग: इंदौर, खंडवा, उज्जैन, भोपाल आदि से नियमित बसें और निजी टैक्सियाँ। बुनियादी ढाँचे में धर्मशालाएँ, होटल, लॉज और तीर्थयात्रियों के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा सहायता शामिल है। 💡 आगामी सुधार: 2026 के मध्य तक, नई सुरंगों और राजमार्ग विस्तार के कारण इंदौर से ओंकारेश्वर और उज्जैन की यात्रा का समय लगभग 1 घंटे तक कम हो जाएगा, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए सुविधा बढ़ जाएगी। इसके अतिरिक्त, श्रावण 2025 के दौरान ओंकारेश्वर में होटलों में बुकिंग लगभग 80% तक पहुँच गई, जो पर्यटकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। ✅ संक्षिप्त सारांश तालिका विशेषता विवरण शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से चौथा ज्योतिर्लिंग स्थान: खंडवा, मध्य प्रदेश के पास, नर्मदा नदी में मान्धाता / शिवपुरी द्वीप वास्तुकला: नागर शैली, 5 मंज़िलें, नक्काशीदार स्तंभ, अनेक देवता अनुष्ठान: अभिषेक, आरती, परिक्रमा, शयन दर्शन, नर्मदा नदी समारोह आगमन का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च; विशेष रूप से महाशिवरात्रि और श्रावण के दौरान त्यौहार पहुँच: हवाई मार्ग (इंदौर), रेल और सड़क मार्ग; पुल या नाव द्वारा द्वीप तक पहुँचा जा सकता है आध्यात्मिक मान्यताएँ: पापों की शुद्धि, मोक्ष, मनोकामना पूर्ति #rakeshnikum07 #ujjain #omkareshwar #narmada आपको दी गई जानकारी कोई चुक हो माफी 🙏 हर हर महादेव 🚩 Rakesh Nikum