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लंकापति रावण का पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार होता है। विभीषण अपने अग्रज की चिता को मुखाग्नि देते हैं। विभीषण अभी भी पश्चाताप में डूबे हैं। वह भाई की मौत से टूट चुके हैं। राम उन्हें समझाते हैं कि वह शमशान वैराग्य की स्थिति से बाहर निकलें व लंका का शासन सम्भालें। राम के आदेश पर लक्ष्मण लंका नगरी जाकर विभीषण का वैदिक मन्त्रोच्चार के बीच राज्याभिषेक करते हैं। राम सीता का सन्देश लाने के लिये हनुमान को अशोक वाटिका भेजते हैं। हनुमान को देखकर वैदेही प्रसन्न हो उठती हैं। वह हनुमान से कहती हैं कि वह उनके स्वामी से कहें कि शीघ्राशीघ्र वे अपनी सीता को अपने पास बुलाएं। हनुमान से यह सन्देश पाकर राम विभीषण से सीता को अशोक वाटिका से मुक्त करने को कहते हैं। सबके प्रस्थान के बाद राम लक्ष्मण से अग्नि का प्रबन्ध करने को कहते हैं। वह कहते हैं कि सीता को अग्निद्वार लाँघकर राम के पास आना होगा। भाभी की इस प्रकार अग्नि परीक्षा लिये जाने की बात सुनकर लक्ष्मण आवेश में आते हैं। वह भैया राम को सीता द्वारा उठाये गये दुःखों को गिनाकर कहते हैं कि यदि उनकी माता समान भाभी की अग्निपरीक्षा ली गयी तो वह अपने बड़े भाई के विरुद्ध विद्रोह कर सकते हैं। राम कहते हैं कि उन्हें सीता के सतीत्व पर पूर्ण विश्वास है। यहाँ राम लक्ष्मण के समक्ष एक बहुत बड़े रहस्य का खुलासा करते हैं। वह कहते हैं कि यदि रावण असली सीता को हाथ लगाता तो उसके परम तेज से रावण के हाथ जल जाते। राम बताते हैं कि पर्णकुटी वास के दौरान एक दिन जब लक्ष्मण वन में लकड़ी लेने गये थे, तब उन्होंने सीता से कहा कि उन्हें नरलीला करनी है। राम ने सीता को अग्निदेव के संरक्षण में रहने को कहा। सीता ने अग्नि प्रज्वलित की और उसमें प्रवेश कर गयीं। राम के पास सीता का प्रतिबिम्ब रहा गया। रावण इन्हीं छायासीता को हर ले गया था। अब राम छायासीता को अग्नि में प्रवेश कराकर असली सीता वापस लाना चाहते हैं। तभी कोलाहल गूँजता है। हनुमान सीता की पालकी लेकर आते हैं। वानरों में सीता के सबसे पहले दर्शन करने के लिये होड़ मचती है। सीता पालकी से उतर कर धीमे पग से राम की ओर बढ़ती है। यह मनोरम दृश्य देखने के लिये आकाश में देवता भी आतुर हैं। किन्तु राम सीता को रुकने और पहले अपनी शुद्धता का प्रमाणित करने के लिये अग्नि परीक्षा देने को कहते हैं। सीता लक्ष्मण को पावक की व्यवस्था करने को कहती हैं। लक्ष्मण मंत्रों से अग्नि प्रज्वलित करते हैं। सीता अग्निदेव को प्रणाम कर कहती हैं कि यदि मैंने सच्चे मन कर्म और वचन से अपने हृदय में केवल अपने पति का वास रखा हो और किसी परपुरुष का विचार भी मन में न आया हो तो अग्निदेव श्रीखण्ड के समान मेरी शुद्धता प्रमाणित करें। सीता अग्नि में प्रवेश करती हैं। अग्नि की ज्वाला में छायासीता का लोप होता है और अग्निदेव असली सीता को लेकर प्रकट होते हैं। राम सीता का पुनर्मिलन होता है। एपीसोड के अन्त में निदेशक रामानन्द सागर बताते हैं कि छायासीता का प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के आरण्य काण्ड और लंका काण्ड मिलता है। वह स्पष्टीकरण देते हैं कि मेघनाद की पत्नी सुलोचना के सती होने का प्रसंग उन्होने आज के परिवेश को ध्यान में रखकर नहीं दिखाया था। वह यह भी कहते हैं वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास की मानस और तमिल रामायाण में सुलोचना के सती होना का वर्णन नहीं मिलता है। वे कहते हैं कि रामेश्वरम में रावण द्वारा पूजा और मरते समय रावण द्वारा लक्ष्मण को उपदेश जैसे प्रसंग भी क्षेपक हैं, इस कारण उन्होंने चित्रपट पर इन्हें भी नहीं दिखाया है। भारत की अमर कहानियाँ में आपको मिलती हैं ऐसी कथाएँ जो न केवल अनोखी हैं, बल्कि हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर भी हैं। ये कहानियाँ शाश्वत हैं क्योंकि ये हमारे मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। #vikrambetal #rajavikramaditya #ramayanstories #shreekrishnaleela #krishnakatha #gangaavataran #mahalakshmikatha #hindumytho #bhaktibhavna #naitikkahani #devikatha #dharmaauradharma #mythostory #epiclegends #ramkatha #krishnabhakti #lokkatha #bharatkikahaniyan #bhaktistories #hindistoryshorts