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Mubarak Mandi का इतिहास जम्मू एवं कश्मीर के डोगरा राजतंत्र के समय का है। यह जम्मू शहर के पुराने हिस्से में तावी नदी के किनारे स्थित एक राज भवन परिसर है, जिसमें दरबार हॉल, शाही महल, म्यूज़ियम आदि शामिल हैं। नीचे इसका पूरा इतिहास हिन्दी में संक्षेप में प्रस्तुत है: Mubarak Mandi का सबसे पुराना भाग लगभग 1710 ईस्वी में बनाया गया था। महाराजा ध्रुव देव (राजा ध्रुव देव, शासनकाल 1707-1733) ने पुराने “पुरानी मंडी” क्षेत्र से अपनी राजधानी और निवास मुबा़रक मन्दी की ओर स्थानांतरित की थी। धीरे-धीरे, समय के साथ विभिन्न महाराजाओं ने इसे बढ़ाया। अनेक महल, दरबार-हॉल, शाही अदालतें, संग्रहालय और अनेक अन्य इमारतें जोड़ी गईं। रनबीर सिंह महाराजा (1856-1885) ने मन्दी को सुदृढ़ एवं बढ़ाया, नई इमारतें जोड़ीं, प्रशासनिक विभाग परिसर में वृहद कार्य लिए गए। महाराजा प्रताप सिंह (1885-1925) ने भी कई हिस्सों का निर्माण किया। उनके समय की एक प्रमुख इमारत है रानी चराकी महल (Rani Charak Mahal), जो उनकी प्रिय रानी के लिए 1913 में बनाई गई थी। पुरानी मंडी में अनेक शाही कमरों के अतिरिक्त “शिश महल” (Sheesh Mahal), “पिंक पैलेस” (Pink Palace), “गोले घर” (Gol Ghar), “नवा महल” (Nawa Mahal), “हवा महल” आदि शामिल हैं। यह परिसर डोगरा राज्य का मुख्य शाही निवास और प्रशासनिक केन्द्र रहा। वर्ष 1925 में महाराजा हरी सिंह ने अपना निवास अमर महल (Hari Niwas Palace) की ओर स्थानांतरित कर लिया, पर मुबा़रक मन्दी की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्ता बनी रही। पतन, उपेक्षा एवं पुनरुद्धार के प्रयास समय के साथ मुबा़रक मन्दी की स्थिति धुँर-धुँर बिगड़ने लगी: आग लगना, भूकंप, वर्षा आदि प्राकृतिक आपदाएँ, मरम्मत की कमी, शाही सजावट और कलात्मक कारीगरी की उपेक्षा हुई। 2005 में इसे “प्रोटेक्टेड मोन्युमेंट” (संरक्षित स्मारक) घोषित किया गया। उसी समय से पुर्नरुद्धार (restoration) तथा संरक्षण के कई प्रयास हुए हैं। उदाहरण के लिए, मुबा़रक मन्दी जम्मू हेरिटेज सोसाइटी (Mubarak Mandi Jammu Heritage Society) का गठन किया गया। सरकारी एजेंसियों द्वारा महत्त्वपूर्ण बजट जारी किए गए हैं, कुछ हिस्सों में मरम्मत व उपयोग योजनाएँ बनी हैं। उदाहरण के लिए, “कंज़र्वेशन और एडैप्टिव रियूज़ प्लान” 2019 में स्वीकृत हुआ था।