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‘Maine Puchha Chand Se’ (Hindi Song from Film ‘Abdullah’) Sanskrit Version Lyrics By : Dr. Harekrishna Meher (पृष्टवानहं विधुम् , मम प्रिया-समा, सुन्दरी क्व वीक्षिता ?) * Singer : Rajesh Upadhyaya (New Delhi) * गीतस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर: गायकः - राजेश उपाध्यायः (नवदिल्ली) * * A Homemade Video By : Dr. Harekrishna Meher : * [Participated in Sanskrit Lyric Translation Competition conducted by ‘Sanskrit Vaartaavali’ Magazine, DD News Channel, Delhi. Name enlisted in the Program telecast on 18--2-2017 at 7 pm. It is very interesting to see that my translation of the first line ‘Maine Puchha Chand Se’ (मैंने पूछा चाँद से) is ‘पृष्टवानहं विधुम्’ and the Winner’s translation of the first line is the same ‘पृष्टवानहं विधुम्’. For pleasure of reading, my exact translation as sent for competition (not selected) is placed here]. = = = = = = = = = FaceBook : Harekrishna Meher : Link : https://www.facebook.com/harekrishna.... * Related Link : ‘Maine Puchha Chand Se’ Song : Sanskrit Version Lyrics : Dr. Harekrishna Meher : HKMeher Blog : http://hkmeher.blogspot.in/2017/02/sa... Videos of Dr. Harekrishna Meher : Link : http://hkmeher.blogspot.in/2016/04/vi... * Biodata : http://hkmeher.blogspot.in/2012/06/br... = = = = = = = = = Original Hindi Song : मैंने पूछा चाँद से * Film : ‘Abdullah’ (1980) Lyrics : Ananda Bakshi Music : Rahul Dev Burman Singer : Mohammad Rafi = = = = = = = Sanskrit Version (As per Original Tuning) By : Dr. Harekrishna Meher गीतस्वरानुकूल-संस्कृतानुवादः - डॉ. हरेकृष्ण-मेहेर: = = = = = = = = = पृष्टवानहं विधुम् , मम प्रिया-समा, सुन्दरी क्व वीक्षिता ? इन्दुरब्रवीत्, कौमुदी-शापितम्, न वै, न वै, न वै ॥ (०) * ह्री मया हि मार्गिता तवेयम्, यौवनं च मार्गितं समन्तम् । त्वदुपमां हि कोरकानपृच्छम्, संदधौ सुमेषु तुल्यभावम् । वाटिकां च पृष्टवान्, द्यु-धाम्नि वा भुवाम्, कुत्र पुष्पमीदृशम्, आह वाटिका, मञ्जरी-शापितम्, न वै, न वै, न वै ॥ (१) भाति किं गतिस्तरङ्ग-धारा, चारु-कुन्तला निशीथ-गाथा । पद्म-दर्पणौ प्रियाधरौ किम्, लोचनं नु मद्य-सद्म-राज्ञी । मद्य-पात्रमपृच्छम् द्यु-धाम्नि वा भुवाम्, क्वापि वारुणीदृशी, चषकोऽवदत्, मादिका-शापितम्, न वै, न वै, न वै ॥ (२) रामणीयकं त्वया यदाप्तम्, भगवतो हृतं हि दिव्य-सत्त्वम् । त्वां वदानि मीर-गज्जलं वा, किं खयाम-लेखनी-रुबायीम् । यत् कवीन् पृच्छामि कुत्र, गीतिरस्ति वा, स्वान्त-मोहिनीदृशी, कवयोऽवदन्, कविता-शापितम्, न वै, न वै, न वै ॥ (३) पृष्टवानहं विधुम् ॥ = = = = = = = = = Courtesy : Hindi Film ‘Abdullah’ (1980) * * * * गीत : चलचित्र : अब्दुल्लाह * = = = = = = = = = = = = मैंने पूछा चाँद से, कि देखा है कहीं, मेरे यार-सा हसीं, चाँद ने कहा, चाँदनी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥ (०) * मैंने ये हिजाब तेरा ढूँढा, हर जगह शबाब तेरा ढूँढा । कलियों से मिसाल तेरी पूछी, फूलों में जवाब तेरा ढूँढा । मैने पूछा बाग से, फलक हो या जमीं, ऐसा फूल है कहीं, बाग ने कहा, हर कली की कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥ (१) * चाल है कि मौज की रवानी, जुल्फ है कि रात की कहानी । होंठ हैं कि आईने कमल के, आँख है कि मयकदों की रानी । मैंने पूछा जाम से, फलक हो या जमीं, ऐसी मय भी है कहीं, जाम ने कहा, मयकशी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥ (२) * खूबसूरती जो तूने पायी, लुट गयी खुदा की बस खुदाई । मीर की गज़ल कहूँ तुझे मैं, या कहूँ खयाम की रुबायी । मैं जो पूछूँ शायरों से, ऐसा दिलनशीं, कोई शेर है कहीं, शायर कहें, शायरी की कसम, नहीं, नहीं, नहीं ॥ (३) * * * *