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🌼 स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस गीत ⭐ मुखड़ा स्वामी श्रद्धानन्द जी के मूल्य, मन के पथ को सजाते हैं। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 1 हरिद्वार की पावन धरती पर, गुरुकुल कांगड़ी बना डाला। शुद्ध शिक्षा की नींव रखी, अज्ञान का पर्दा हटा डाला। कैसे शिक्षा–युग के दूत थे, तुमको आज बताती हूँ।।1।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 2 जाति-पाँति के बंधन तोड़कर, समानता का संदेश दिया। सब मानव एक जाति बताते, समरसता का संदेश दिया। कैसे समाज में, नई लहर आई, तुमको आज बताती हूँ।।2।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 3 शुद्धि के पावन आंदोलन से, हिंद समाज जगाया था। भटके जन को समझा–बुझाकर, घर वापस बुलवाया था। कैसे वो ‘शुद्धि–युग’, प्रेरक बने, तुमको आज बताती हूँ।।3।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 4 मथुरा में जब सत्य-सुधार की, लहर उन्होंने चलाई थी। विरोधों के बीच में रहकर, अडिग राह बनाई थी। कैसे उनका साहस दृढ़ था, तुमको आज बताती हूँ।।4।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 5 दिल्ली में जब उग्र विरोध ने, उन पर वार कराया था। सत्य-असत्य के इस संग्राम में, मन को न डगमगाया था। कैसे अडिग रहे अंतिम क्षण तक, तुमको आज बताती हूँ।।5।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 6 झूठे मुकदमों की आँधी में भी, कभी न वो घबराए थे। धर्म और सत्य के पथ पर दृढ़, सदा वे अडिग खड़े थे। कैसे उनका निश्चय, इतना कठोर था, तुमको आज बताती हूँ।।6।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 7 अब्दुल रशीद जब छल से आकर, उन पर वार कर, आया था। पर सत्याग्रही ने, उस क्षण में भी, अडिग साहस दिखलाया था। कैसे मृत्यु को हँसकर देखा, तुमको आज बताती हूँ।।7।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 8 अंतिम सांस तक सत्य-धर्म का, दीप लिए वो खड़े रहे। रक्त-रंजित हो जाने पर भी, धर्म के पथ पर डटे रहे। कैसे उनके बलिदान की महिमा बड़ी थी, तुमको आज बताती हूँ।।8।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 9 उनके उठते ही हिंद समाज में, नई चेतना जन्मी थी। सेवा, शिक्षा और स्वाभिमान की, लाखों मन में लहरें थीं। कैसे कहलाए, युग-पुरुष वे, तुमको आज बताती हूँ।।9।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। --- ⭐ अंतरा 10 — समापन आओ उनके पावन जीवन से, सत्य–धर्म अपनाएँ हम। धर्म–सुधार और मानवता की, ज्योति सदा जलाएँ हम। "कीर्ति", कैसे, श्रद्धानंद को, हृदय में, बसाएँ हम, तुमको आज बताती हूँ।।10।। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। ------ स्वामी श्रद्धानन्द जी के मूल्य, मन के पथ को सजाते हैं। उनके बलिदान की गाथा, तुमको आज बताती हूँ।। कीर्ति खुराना #आर्यगीत #kirti #vaidik #आर्य #आर्यसमाज #वैदिक #aryasamaj #aryasamajkebhajan #geet #स्वामीश्रद्धानन्द