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दुर्गा कवच पाठ|| Durga Kavach lyrics in sanskrit || Devi Kavacham || Madhvi Madhukar Jha скачать в хорошем качестве

दुर्गा कवच पाठ|| Durga Kavach lyrics in sanskrit || Devi Kavacham || Madhvi Madhukar Jha 4 года назад

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दुर्गा कवच पाठ|| Durga Kavach lyrics in sanskrit || Devi Kavacham || Madhvi Madhukar Jha

भावार्थ : मार्कण्डेय जी ने कहा हे पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय तथा मनुष्यों की सब प्रकार से रक्षा करने वाला है और जो अब तक आपने दूसरे किसी के सामने प्रकट नहीं किया हो, ऐसा कोई साधन मुझे बताइये। भावार्थ : ब्रह्मन्! ऐसा साधन तो एक देवी का कवच ही है, जो गोपनीय से भी परम गोपनीय, पवित्र तथा सम्पूर्ण प्राणियों का उपकार करनेवाला है. हे महामुने! आप उसे श्रवण करें. प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। भावार्थ : भगवती का प्रथम नाम शैलपुत्री है, दूसरी स्वरूपा का नाम ब्रह्मचारिणी है. तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा के नाम से जाना जाता है. चौथी रूप को कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है. भावार्थ : पाँचवीं दुर्गा का नाम स्कन्दमाता है.देवी के छठे रूप को कात्यायनी कहते हैं.सातवाँ कालरात्रि और आठवाँ स्वरूप महागौरी के नाम से जाना जाता है. भावार्थ : नवीं दुर्गा का नाम सिद्धिदात्री है। ये सब नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं। ये सब नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा ही प्रतिपादित हुए हैं भावार्थ : जो मनुष्य अग्नि में जल रहा हो, रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम संकट में फँस गया हो तथा इस प्रकार भय से आतुर होकर जो भगवती दुर्गा की शरण में प्राप्त हुए हों, उनका कभी कोई अमंगल नहीं होता है. भावार्थ : युद्ध समय संकट में पड़ने पर भी उनके ऊपर कोई विपत्ति नहीं दिखाई देता है, उन्हे शोक, दु:ख और भय की प्राप्ति नहीं होती. भावार्थ : जिन्होंने भक्तिपूर्वक देवी का स्मरण किया है, उनका निश्चय ही अभ्युदय होता है. देवेश्वरि! जो तुम्हारा चिन्तन करते हैं, उनकी तुम नि:सन्देह रक्षा करती हो. भावार्थ : चामुण्डादेवी प्रेत पर आरूढ़ होती हैं. वाराही भैंसे पर सवारी करती हैं. ऐन्द्री का वाहन ऐरावत हाथी है. वैष्णवी देवी गरुड़ को अपना आसन बनाती हैं. भावार्थ : माहेश्वरी वृषभ पर आरूढ़ होती हैं. कौमारी का वाहन मयूर है. भगवान् विष्णु (हरि) की प्रियतमा लक्ष्मीदेवी कमल के आसन पर विराजमान हैं,और हाथों में कमल धारण किये हुई हैं. भावार्थ : माहेश्वरी वृषभ पर आरूढ़ होती हैं. कौमारी का वाहन मयूर है. भगवान् विष्णु (हरि) की प्रियतमा लक्ष्मीदेवी कमल के आसन पर विराजमान हैं,और हाथों में कमल धारण किये हुई हैं. भावार्थ : वृषभ पर आरूढ़ ईश्वरी देवी ने श्वेत रूप धारण कर रखा है. ब्राह्मी देवी हंस पर बैठी हुई हैं और सब प्रकार के आभूषणों से विभूषित हैं. भावार्थ : इस प्रकार ये सभी माताएं सब प्रकार की योग शक्तियों से सम्पन्न हैं. इनके अलावा और भी बहुत सी देवियां हैं, जो अनेक प्रकार के आभूषणों की शोभा से युक्त तथा नाना प्रकार के रत्नों से सुशोभित हैं. भावार्थ : ये सम्पूर्ण देवियाँ क्रोध में भरी हुई हैं और भक्तों की रक्षा के लिए रथ पर बैठी दिखाई देती हैं। ये शङ्ख, चक्र, गदा, शक्ति, हल और मूसल, खेटक और तोमर, परशु तथा पाश, कुन्त औ त्रिशूल एवं उत्तम शार्ङ्गधनुष आदि अस्त्र-शस्त्र अपने हाथ में धारण करती हैं। दैत्यों के शरीर का नाश करना,भक्तों को अभयदान देना और देवताओं का कल्याण करना यही उनके शस्त्र-धारण का उद्देश्य है। भावार्थ : महान रौद्ररूप, अत्यन्त घोर पराक्रम, महान् बल और महान् उत्साह वाली देवी तुम महान् भय का नाश करने वाली हो,तुम्हें नमस्कार है. भावार्थ : तुम्हारी तरफ देखना भी कठिन है. शत्रुओं का भय बढ़ाने वाली जगदम्बे ,मेरी रक्षा करो. पूर्व दिशा में ऐन्द्री (इन्द्रशक्ति)मेरी रक्षा करे.अग्निकोण में अग्निशक्ति,दक्षिण दिशा में वाराही तथा नैर्ऋत्यकोण में खड्गधारिणी मेरी रक्षा करें. पश्चिम दिशा में वारुणी और वायव्यकोण में मृग पर सवारी करने वाली देवी मेरी रक्षा करे. भावार्थ : उत्तर दिशा में कौमारी और ईशानकोण में शूलधारिणी देवी रक्षा करे.ब्रह्माणि!तुम ऊपर( गगन )की ओर से मेरी रक्षा करो और वैष्णवी देवी नीचे (जमीन) की ओर से मेरी रक्षा करे. भावार्थ : शव को अपना वाहन बनानेवाली चामुण्डा देवी दसों दिशाओं में मेरी रक्षा करें. जया सामने से और विजया पीछे की ओर से मेरी रक्षा करे. भावार्थ : वामभाग में अजिता और दक्षिण भाग में अपराजिता हमारी रक्षा करे. उद्योतिनी शिखा की रक्षा करे. उमा मेरे मस्तक पर विराजमान होकर रक्षा करे. भावार्थ : ललाट में मालाधरी रक्षा करे और यशस्विनी देवी मेरी भौंहों का संरक्षण करे.भौंहों के मध्य भाग में त्रिनेत्रा और नथुनों की यमघण्टा देवी रक्षा करे. भावार्थ : ललाट की मालाधरी रक्षा करें और यशस्विनी देवी मेरी भौंहों का संरक्षण करे. भौंहों के मध्य भाग की देवी त्रिनेत्रा और नथुनों की यमघण्टा देवी रक्षा करे. भावार्थ : नासिका की देवी सुगन्धा और ऊपर के ओंठ की चर्चिका देवी रक्षा करे. नीचे के ओंठ की देवी अमृतकला तथा जिह्वा की रक्षा सरस्वती करे. भावार्थ : कौमारी देवी मेरे दाँतों की और चण्डिका देवी कण्ठ की रक्षा करें.चित्रघण्टा देवी गले की घाँटी और देवी महामाया तालु में रहकर हमारी रक्षा करे. भावार्थ : कामाक्षी देवी ठोढी की और सर्वमङ्गला मेरी वाणी की रक्षा करे. भद्रकाली ग्रीवा की और धनुर्धरी पृष्ठवंश (मेरुदण्ड) की रक्षा करे. भावार्थ : कण्ठ के बाहरी भाग की नीलग्रीवा और कण्ठ की नली की रक्षा नलकूबरी करे.दोनों कंधों की रक्षा खड्गिनी और मेरी दोनों भुजाओं की वज्रधारिणी रक्षा करे. भावार्थ : दोनों हाथों की दण्डिनी और उँगलियों की रक्षा अम्बिका करे. शूलेश्वरी नखों की रक्षा करे. कुलेश्वरी कुक्षि ( पेट)में रहकर रक्षा करे. भावार्थ : महादेवी दोनों स्तनों की और शोकविनाशिनी देवी मन की रक्षा करे. ललिता देवी हृदय की और शूलधारिणी उदर की रक्षा करे. भावार्थ : नाभि की देवी कामिनी और गुह्यभाग की गुह्येश्वरी रक्षा करे. पूतना और कामिका लिंग की और महिषवाहिनी गुदा की रक्षा करे. भगवती कटि भाग में और विन्ध्यवासिनी घुटनों की रक्षा करे. for full meaning please visit https://www.prabhatkhabar.com/religio... #madhvimadhukar

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