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भगवद्गीता अध्याय 12: भक्तियोग - भगवान की भक्ति का परम मार्ग | Devotion Yoga in Hindi भगवद्गीता अध्याय 12: भक्तियोग - भगवान की भक्ति के परम मार्ग को समझें। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को ज्ञान योग और भक्ति योग के बीच अंतर समझाते हैं। इस अध्याय में भक्ति के प्रकार, भक्तों की विशेषताएं और भगवान की कृपा का वर्णन है। मुख्य विषय: ज्ञान योग और भक्ति योग के बीच विवाद भक्ति के प्रकार और महत्व भक्तों की विशेषताएं भगवान के प्रति निष्ठा का मार्ग भक्ति के लक्षण और गुण भगवान की कृपा और रक्षा अनासक्त भक्ति की शिक्षा भक्ति मार्ग की सरलता श्लोकों का सारांश: श्लोक 1-6: ज्ञान योग और भक्ति योग की तुलना श्लोक 7-12: भगवान के प्रति निष्ठा का मार्ग श्लोक 13-20: भक्तों की विशेषताएं और गुण महत्वपूर्ण श्लोक: "एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः" - इस प्रकार जानकर कर्म किया गया है पूर्व के मुमुक्षुओं द्वारा भी "अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते" - जो लोग मुझे अनन्य भाव से चिंतन करते हुए उपासना करते हैं "मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्" - मुझे प्राप्त करके पुनर्जन्म नहीं होता इस अध्याय में अर्जुन पूछते हैं: "एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म पूर्वैरपि मुमुक्षुभिः" - इस प्रकार जानकर कर्म किया गया है पूर्व के मुमुक्षुओं द्वारा भी कुल श्लोक: 20 | अध्याय: 12 | योग: भक्तियोग #भगवद्गीता #अध्याय12 #भक्तियोग #श्रीकृष्ण #अर्जुन #संस्कृत #GitaChapter12 #BhaktiYoga #Devotion #SpiritualWisdom #HinduScriptures #BhagavadGitaInHindi #भगवद्गीता #अध्याय13 #क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग #भगवानश्रीकृष्ण #अर्जुन #GitaChapter13 #KshetraKshetrajnaYoga #BhagavadGita #भगवद्गीताअध्याय13 #गीतातेरहवाअध्याय #क्षेत्रऔरक्षेत्रज्ञ #शरीरऔरआत्मा #24तत्वोंकावर्णन #परज्ञानऔरअपरज्ञान #ज्ञानीपुरुषकीविशेषताएं #प्रकृतिऔरपुरुष #मोक्षकेमार्ग #आत्माकीपहचान #शरीरकेतत्व #ब्रह्मकेप्रतिज्ञान #सांख्यदर्शन #आत्मतत्व #शरीरतत्व #ज्ञानकेप्रकार #आत्मज्ञान #ब्रह्मज्ञान #मोक्षमार्ग #धर्मतत्व #जीवनदर्शन #वेदांतदर्शन #भारतीयदर्शन #भगवद्गीतादर्शन #धर्मग्रंथ #हिंदूधर्म #भारतीयसंस्कृति #प्राचीनभारत #आत्मविज्ञान #गीतापढ़ें #आत्मग्यान #जीवनकीशिक्षाएं #आध्यात्मिकजागरण #स्पिरिचुअलिटी #BodyAndSoul #SpiritualKnowledge #HindiGita #GitaInHindi #भगवद्गीताहिंदी #गीताव्याख्या #HinduScriptures #SanskritTexts #IndianPhilosophy #SpiritualWisdom #DivineKnowledge #SelfRealization #SamkhyaDarshana #Consciousness #MaterialNature #SpiritualNature your Queries भगवद्गीता अध्याय 12 क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग भगवद्गीता बाराह अध्याय BG 12 Gita Chapter 12 Kshetra Kshetrajna Yoga भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ शरीर और आत्मा 24 तत्वों का वर्णन पर ज्ञान और अपर ज्ञान ज्ञानी पुरुष की विशेषताएं प्रकृति और पुरुष मोक्ष के मार्ग आत्मा की पहचान शरीर के तत्व ब्रह्म के प्रति ज्ञान भगवद्गीता अध्याय 12 का सारांश हिंदी में क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग के श्लोक और अर्थ शरीर और आत्मा में क्या अंतर है गीता में भगवान कृष्ण की आत्म-तत्व शिक्षाएं 24 तत्व कौन-कौन से हैं गीता में ज्ञानी पुरुष कैसा होता है गीता में प्रकृति और पुरुष का तत्व गीता में भगवद्गीता 12 अध्याय की व्याख्या क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग का महत्व हिंदू धर्म में गीता के तेरहवे अध्याय के मुख्य संदेश भगवद्गीता सार गीता के अध्याय हिंदू धर्म शास्त्र सांख्य दर्शन संस्कृत श्लोक गीता का अर्थ भगवद्गीता श्लोक आध्यात्मिक ज्ञान गीता की शिक्षाएं आत्मा और शरीर भगवद्गीता अध्याय 12 का मतलब क्या है? क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग क्या है? क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ में क्या अंतर है? शरीर और आत्मा में क्या अंतर है? 24 तत्व कौन-कौन से हैं? पर ज्ञान और अपर ज्ञान में क्या अंतर है? ज्ञानी पुरुष कैसा होता है? प्रकृति और पुरुष क्या हैं? मोक्ष का मार्ग क्या है? गीता में आत्मा की पहचान कैसे की गई है? @ShriPrashant