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गन्ने के साथ मक्के की खेती कर उठाएं अधिक से अधिक लाभ गन्ने की उत्पादकता की कमी के कई कारण हैं जैसे-सिंचाई, खाद और उर्वरकों की समय से उपलब्धता न होना और खरपतवार, कीट और रोगों का प्रकोप। गन्ने की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग लाल सड़न, उकठा, कंडवा हैं। पर्ण कुंचन व पर्णदाह, विषाणुजनित मोजेक और फाइटोप्लाज्माजनित घास प्ररोह प्रमुख जीवाणुजनित रोग हैं। उपरोक्त रोगों में से लाल सड़न रोग गन्ने में लगने वाला सबसे हानिकारक रोग है। मक्के की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। उचित जल निकासयुक्त बलुई मटियार से दोमट मृदा जिसमें वायु संचार एवं पानी के निकास की उत्तम व्यवस्था हो तथा पी. एच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो (अर्थात न अम्लीय हो न ही क्षारीय) में मक्का सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है। #farmerthejournalist #ftj #cornfarming #sugarcanefarming फार्मर द जर्नलिस्ट के पीछे का मुख्य मकसद किसानों की समस्याओं को उन्ही के माध्यम से प्रशासन तक पहुँचाना है. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि कैसे वह खबर या फिर वीडियो तैयार कर भेज सकते हैं. फार्मर द जर्नलिस्ट का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को उन्ही से समझकर उसे आगे बढ़ाना है ताकि उन्हें नजर अंदाज ना किया जा सके. इसके लिए किसानों को कृषि जागरण की तरफ से ट्रेनिंग दी जाती है किसानों की समस्या का आंकलन तभी किया जा सकता है जब हम खुद उससे जुड़े हो. किसानों को कब किस समस्या का सामना करना पड़ता है या आने वाले समय में क्या होने वाला है यह एक किसान से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. ऐसे में किसानों की समस्या को जड़ से समझकर उसका समाधान निकालने के लिए कृषि जागरण और उसकी पूरी टीम ने आज से कुछ समय पहले एक सफल प्रयास की शुरुआत की थी. जिसको हम सब “फार्मर द जर्नलिस्ट” के नाम से जानते हैं. कृषि जागरण द्वारा शुरू की गई इस कड़ी में किसानों को शिक्षित किया जाता है कि कैसे वह अपनी समस्याओं को खबर के रूप में या फिर वीडियो बना कर हमें भेज सकते हैं. यह ही है “फार्मर द जर्नलिस्ट”