У нас вы можете посмотреть бесплатно मिल गया उत्तराखंड के पहाड़ो का घंटाकर्ण धाम मंदिर |Ghantakarna Dham Mandir |Gaja Kivil Tehri Garwal или скачать в максимальном доступном качестве, которое было загружено на ютуб. Для скачивания выберите вариант из формы ниже:
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देवभूमि के कण कण में देवों का वास है। यहां कदम कदम आपको कुछ ऐसे मंदिर और धरोहरें नज़र आएंगी, जिनका इतिहास बेहद ही रोचक है। इन्हीं में से एक हैं घंटाकर्ण यानी घंडियाल देवता। घंडियाल देवता को बदरीनाथ धाम का रक्षक कहा जाता है। जिस तरह से भैरवनाथ जी को केदारनाथ का रक्षक कहा जाता है, उसी प्रकार घंडियाल देवता भी बदरीनाथ धाम की रक्षा करते हैं। घंटाकर्ण बचपन से एक राक्षस था और साथ ही शिव का अनन्य भक्त भी था।इतना अनन्य कि उसे किसी अन्य के मुख से शिव का नाम सुनना भी पसंद ना था इसलिए उसने अपने कानों में बड़े-बड़े घंटे धारण किए हुए थे,जिस कारण नाम घंटाकर्ण पड़ा।घंटाकर्ण की भक्ति से भगवान शिव अति प्रसन्न हुए और इन्हें स्वयं दर्शन दिए तथा वर मांगने को कहा। वरदान स्वरूप घंटाकर्ण ने अपनी मुक्ति की इच्छा रखी। दरअसल घंटाकर्ण अपने राक्षसी जीवन से खुश नहीं था।वरदान सुनकर भगवान शिव ने कहा कि तुम्हे अगर कोई मुक्ति दे सकता है तो वो हैं भगवान विष्णु। तुम्हे उनकी शरण में जाना होगा। ये सुनकर घंटाकर्ण उदास हो गया क्यूंकि वो भगवान शिव के अलावा किसी अन्य देव की उपासना नहीं करता था इसलिए भगवान विष्णु का नाम भी नहीं सुनना चाहता था। उसकी परिस्थिति समझकर भगवान शिव ने उसे एक उपाय सुझाया और द्वारिका जाने को कहा जहां भगवान विष्णु , कृष्ण के रूप में अवतरित होकर रह रहे थे।शिव जी के आदेश के मुताबिक अनुसार घंटाकर्ण जब द्वारिका पहुंचा तो वहां उन्हें पता चला कि भगवान कृष्ण कैलाश गए हुए हैं जहां वे पुत्र प्राप्ति हेतु भगवान शिव की तपस्या कर रहे हैं।यह सुनकर घंटाकर्ण भी कैलाश की ओर चल पड़ा। वो जब बद्रिकाश्रम पहुंचा तो देखा कि वहां श्रीकृष्ण समाधि में लीन हैं। वो वहीं बैठ कर जोर-जोर से नारायण-नारायण का जाप करने लगा जिस कारण श्रीकृष्ण का ध्यान टूटा और उन्होंने घंटाकर्ण से वहां आने का कारण पूछा।घंटाकर्ण ने उन्हें सारा वृत्तान्त कह सुनाया और उनसे मुक्ति की प्रार्थना की। कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने नारायण के रूप में अवतरित होकर घंटाकर्ण को राक्षस योनि से मुक्त किया और साथ उन्हें बद्रीनाथ का द्वारपाल भी नियुक्त किया।तभी से घंटाकर्ण या घंडियाल देवता को बद्रीनाथ का क्षेत्रपाल भी माना जाता है। साथ ही उत्तराखंड के गांव गांव में घंडियाल देव स्थानीय देवता के रूप में भी विराजमान हैं। जय घंडियाल देव। दोस्तों मंदिर की जानकारी discripition में जरूर पढ़े कुछ जानकारी next वीडियो में दे पाऊँगा इस मंदिर की आपको क्योकि में भी यहाँ पहली बार गया हूँ जितना हो सका आपको सही जानकारी देने की कोशिश की है वीडियो को लाइक ज़रूर करे और दोस्तों चैनल से ज़रूर जुड़े धन्यवाद Question Enquiries:- 1) Pavki Devi Temple Tihri Gadwal 2) Itharna Mahadev Temple 3) Vasishtha Gufa Reshikesh 4) Munn Iccha Devi Narender Nagar 5) Neelkanth Mahadev Mandir जय माँ गंगे , हर हर गंगे , हर हर महादेव