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🌸 परमहंस श्री रामरतनदास महाराज जी को सादर नमन 🌸 (प्रगटन दिवस विशेष कविता) परब्रह्म के हृदय से, जो अमृत सागर बहते हैं, उनमें रत्न अनगिन छिपे हैं, जो युगों-युगों तक रहते हैं। जिस काल में जो रत्न जरूरी, वही प्रकट हो जाते हैं, माया में लिपटे अन्य ब्रह्मरत्नों को, निज स्वरूप दिखलाते हैं।। ऐसे ही एक दिव्य रत्न का, आज प्रगटन दिन आया, जिन्होंने प्रेम व समर्पण से, आतम को धनी से मिलवाया। जन्म लिया था झंडूदत्त नाम से, एक गाँव की प्यारी धरती पर, 1651 विक्रम संवत, वैशाख कृष्ण सप्तमी की घड़ी पर।। पिता छज्जूदत्त, माता मगनदेवी, जिनके घर रत्न पला, पर जन्म से ही साधना में, बालक ने दी अंतरज्योति जला। दृढ़ संकल्प से आगे बढ़े, कष्टों की न मानी हार, भूखे-प्यासे, नंगे पाँव चले, खोजने परमेश्वर का दरबार।। 🧘♂️ तपस्वी जीवन जिया उन्होंने, द्वंद्वों को सह लिया, सुख-दुख, मान-अपमान में भी, लक्ष्य कभी न खोया। 🙇♂️ सद्गुरु समर्पण था इतना, जो कहा, वही निभाया, प्रश्न नहीं, विश्वास रखा, हर पीड़ा को सहज अपनाया।। 📖 वाणी के प्रति श्रद्धा, प्राणों से भी प्यारी, सिर पर रख लाये सोनगीर से, कसनी करके भारी। 2200 किलोमीटर चलकर, भूमि पर न वाणी रखी, सुंदरसाथ को कहा – यह है राजजी की साक्षात् छवि।। 💞 सुंदरसाथ से प्रेम, उनकी सबसे अनोखी बात, प्रेम के चाँद कहलाए वो, जिनका न कोई था घमंड साथ। रात को जाकर देखा करते, कोई दुखी न हो सुंदरसाथ में, प्रेम ही प्रेम लुटाते रहते, सुंदरसाथ की जमात में।। आज भी शेरपुर आश्रम में, वही प्रेम है, वही छाया, कोई भूखा न लौटे वापस, यह संस्कार उन्होंने सिखाया। उनका जीवन एक दीप है, हम सबके पथ को जगमगाता, यदि बस हम प्रेम सीख जाएँ, तो हर गुण स्वयं आ जाता।। सोमवार से शुक्रवार (6:00-8:00 am) रविवार (2:30-4:00 pm) Meeting ID: 445 625 8755 Passcode: 108 Zoom Meeting Link - https://us02web.zoom.us/j/4456258755...